क्यों 2019 की आर्थिक मंदी 2012-13 से अलग है…???
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि 5% तक धीमी हो गई। जून 2012 के बाद से, वर्तमान श्रृंखला के लिए हमारे पास त्रैमासिक जीडीपी आँकड़े हैं,...
अभी क्या है कल इक इक बूंद को तरसेगा मैखा़ना : कलीमुल हफ़ीज़
कलीमुल हफ़ीज़
मुल्क में बढ़ती आबादी पर प्रधानमंत्री की चिंता उचित है
हमारे प्रधानमंत्री ने इस बार यौमे आज़ादी पर लाल-क़िले की दीवार से राष्ट्र को संबोधित करते हुए जहां बहुत सी अच्छी...
मुल्क के मौजूदा हालात में हमारी रणनीति
कलीमुल हफ़ीज़
मुल्क इस वक़्त जिन हालात से गुज़र रहा है वह इतनी चिंताजनक है कि शायद उसको बयान न करना ही बेहतर है। सत्ताधारी तबक़े के जो इरादे हैं वह अधिक...
अपनी आजा़दी को हम हरगिज़ गंवा सकते नहीं
-कलीमुल हफ़ीज़
आज़ादी इंसान का पैदाइशी हक़ है। आजा़दी का एहसास और आजा़दी का लज्ज़त बहुत बड़ी नेमत है। मगर इंसानी फि़तरत में यह बात भी शामिल है कि वह अपनी आज़ादी...
मैं इल्ज़ाम उसको देता था कु़सूर अपना निकल आया: कलीमुल हफ़ीज़
कलीमुल हफ़ीज़
सुप्रीम कोर्ट की हिदायत पर मरकज़ी हुकूमत ने एक फ़रमांबरदार शागिर्द की तरह अमल किया और आखि़रकार तलाक़ बिल न सिर्फ़ पास हो गया बल्कि राष्ट्रपति महोदय के दस्तख़त से...
ज़िंदा रहने की ये तरकीब निकाली मैं ने : अलीना इतरत
-अलीना इतरत
ज़िंदा रहने की ये तरकीब निकाली मैं ने
अपने होने की ख़बर सब से छुपा ली मैं ने
जब ज़मीं रेत की मानिंद सरकती पाई
आसमाँ थाम लिया जान बचा ली मैं ने
अपने...
मैन ऑफ़ द न्यूज़ : शफीकुल हसन
नई दिल्ली: आज के प्रौद्योगिकी वाले युग में जब सोशल मीडिया और अन्य व्यस्तताओं में समय बर्बाद होता है, सामाजिक कार्यकर्ता शफीकुल हसन व्हाट्सएप के माध्यम से समाचार प्रसारित करते हैं,...
यह मिट्टी बड़ी ज़रखै़ज़ है, यहां फ़सल हो सकती है: कलीमुल हफ़ीज़
कलीमुल हफ़ीज़
मुमकिन नहीं कि शामे-अलम की सहर न हो
मिल्लत का जायज़ा लेने से मालूम होता है कि मिल्लत में बहुत सी कमज़ोरियां हैं, जिनकी गिनती करना मुश्किल है। नुमायां कमज़ोरियों में...
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर ज़ाफ़रानी साया
-कलीमुल हफ़ीज़
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अधिकांश बिंदु प्रशंसनीय हैं। मिसाल के तौर पर शिक्षा तक सबकी पहुंच, शिक्षा के लिए समान अवसर, शिक्षकों की नियुक्ति में पारदर्शिता, और विकास में...
मगर नाटक पुराना चल रहा है…
मंथन...............................सैयद फैसल अली
लोकसभा चुनाव से पहले जिस मीडिया ने मुल्क में मोदी लहर का तूफान उठाने में जो रोल निभाया था, सेना के बजाय पुलवामा का हीरो मोदी को बनाकर पेश...
“उर्दू को मुसलमान समझ कर नज़र अंदाज़ किया जा रहा है”…
– कलीमुल हफ़ीज़
जहां जहां कोई उर्दू ज़ुबान बोलता है,
वहीं वहीं मेरा हिन्दुस्तान बोलता है।
देश में उर्दू ज़ुबान की बुरी हालत को सभी जानते हैं। उर्दू जु़बान के साथ सारी सरकारों का...
लिंचिंग करने वालों से नफरत कीजिए, इनका हौसला मत बढ़ाइए: मोहम्मद अनस।
- मोहम्मद अनस
अगर रेपिस्ट से नफरत करते हैं तो लिंचिंग करने वालों से भी नफरत की जानी चाहिए।
जब कहीं किसी बच्ची के साथ बलात्कार होता है, तो पूरा फेसबुक/ट्वीटर/इंस्टाग्राम यहां तक की मुख्यधारा...
शर्त लोगों ने हवाओं से लगा रखी है…
मंथन.................सैयद फैसल अली
“कांग्रेस मुक्त भारत” की आवाज उठाने वाले चेहरों पर एक व्यंगात्मक मुस्कारहट दिखाई दे...
“तलाक़ से भी ज़्यादा अहम मसाइल औरतों के सामने हैं”
पिछले दिनों लोकसभा में विजय के बाद प्रधानमंत्री ने जो बयान दिया था, इस में अल्पसंख्यकों के विकास और विश्वास की बात कही थी। जिस से तमाम अल्पसंख्यकों को ख़ुशी हुई...
दुनिया किसी गूंगे की हिमायत नहीं करती…
दुनिया किसी गूंगे की हिमायत नहीं करती...
मंथन............सैयद फैसल अली
मॉब लिंचिंग की घटनाएं निरंतर बढ़ती ही जा रही हैं। मुल्क का खूबसूरत चेहरा दागदार होता जा रहा है। ऐसा लगता है कि...
“मॅाब लिंचिंग का क्या कोई हल नहीं है”: कलीमुल हफीज
पिछले पांच साल में मॅाब लिंचिंग की सैकड़ों घटनाएं हो चुकी हैं। जिनमें लगभग 300 लोग मौत के मुंह में जा चुके हैं। दो चार को छोड़कर बाक़ी में मुसलमान ही...