ज़िंदा रहने की ये तरकीब निकाली मैं ने : अलीना इतरत
-अलीना इतरत
ज़िंदा रहने की ये तरकीब निकाली मैं ने
अपने होने की ख़बर सब से छुपा ली मैं ने
जब ज़मीं रेत की मानिंद सरकती पाई
आसमाँ थाम लिया जान बचा ली मैं ने
अपने...
क्यों 2019 की आर्थिक मंदी 2012-13 से अलग है…???
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि 5% तक धीमी हो गई। जून 2012 के बाद से, वर्तमान श्रृंखला के लिए हमारे पास त्रैमासिक जीडीपी आँकड़े हैं,...
मुल्क के मौजूदा हालात में हमारी रणनीति
कलीमुल हफ़ीज़
मुल्क इस वक़्त जिन हालात से गुज़र रहा है वह इतनी चिंताजनक है कि शायद उसको बयान न करना ही बेहतर है। सत्ताधारी तबक़े के जो इरादे हैं वह अधिक...
तालीम के चिराग़ जलाते हुए चलो
लॉक-डाउन में ऑन-लाइन तालीम : इमकानात व मसायल
कलीमुल हफ़ीज़
लॉक-डाउन में ज़िन्दगी के तमाम शोबे मुतास्सिर हुए हैं। लेकिन तालीम का शोबा सबसे ज़्यादा मुतास्सिर हुआ है और अभी दूर-दूर तक स्कूल...
दिल्ली इलेक्शन : बहुत कठिन है डगर पनघट की
दिल्ली में आम आदमी की पाँच साला कारकर्दगी को देखते हुए ऐसा लग रहा था कि अरविन्द जी बहुत आसानी से तीसरी बार मुख्यमन्त्री बन जाएँगे। मगर ज्यों-ज्यों इलेक्शन क़रीब आ...
ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझसा कहूँ जिसे
मेरे उस्ताद-ए-मोहतरम मरहूम मौलाना मिंजारूल हसन साहब का इस दुनिया से चले जाना मेरी बस्ती के लिए एक ख़सारे से कम नहीं जिसकी आने वाले वक़्त में शायद ही कोई दूसरा...
शर्त लोगों ने हवाओं से लगा रखी है…
मंथन.................सैयद फैसल अली
“कांग्रेस मुक्त भारत” की आवाज उठाने वाले चेहरों पर एक व्यंगात्मक मुस्कारहट दिखाई दे...
वरना तमाम इल्म तो क़ुरआन ही में था: कलीमुल-हफ़ीज़
क़ुरआन मजीद वो किताब है जिसको हम सब जानते हुए भी उससे अनजान हैं, घर में मौजूद होते हुए भी हमें इसकी मौजूदगी का एहसास नहीं है। इसकी याद या तो...
यह मिट्टी बड़ी ज़रखै़ज़ है, यहां फ़सल हो सकती है: कलीमुल हफ़ीज़
कलीमुल हफ़ीज़
मुमकिन नहीं कि शामे-अलम की सहर न हो
मिल्लत का जायज़ा लेने से मालूम होता है कि मिल्लत में बहुत सी कमज़ोरियां हैं, जिनकी गिनती करना मुश्किल है। नुमायां कमज़ोरियों में...
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर ज़ाफ़रानी साया
-कलीमुल हफ़ीज़
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अधिकांश बिंदु प्रशंसनीय हैं। मिसाल के तौर पर शिक्षा तक सबकी पहुंच, शिक्षा के लिए समान अवसर, शिक्षकों की नियुक्ति में पारदर्शिता, और विकास में...
“उर्दू को मुसलमान समझ कर नज़र अंदाज़ किया जा रहा है”…
– कलीमुल हफ़ीज़
जहां जहां कोई उर्दू ज़ुबान बोलता है,
वहीं वहीं मेरा हिन्दुस्तान बोलता है।
देश में उर्दू ज़ुबान की बुरी हालत को सभी जानते हैं। उर्दू जु़बान के साथ सारी सरकारों का...
दुनिया किसी गूंगे की हिमायत नहीं करती…
दुनिया किसी गूंगे की हिमायत नहीं करती...
मंथन............सैयद फैसल अली
मॉब लिंचिंग की घटनाएं निरंतर बढ़ती ही जा रही हैं। मुल्क का खूबसूरत चेहरा दागदार होता जा रहा है। ऐसा लगता है कि...
दरिंदों के शहर में लाज़िम है परेशां होना : सैयद फैसल अली
सैयद फैसल अली
हैदराबाद गैंगरेप मामले में चारों आरोपी एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं। जिन दरिंदों के मारे जाने पर जश्न का आलम है। पुलिस के कारनामे की प्रशंसा हो रही...
मगर नाटक पुराना चल रहा है…
मंथन...............................सैयद फैसल अली
लोकसभा चुनाव से पहले जिस मीडिया ने मुल्क में मोदी लहर का तूफान उठाने में जो रोल निभाया था, सेना के बजाय पुलवामा का हीरो मोदी को बनाकर पेश...
मैं इल्ज़ाम उसको देता था कु़सूर अपना निकल आया: कलीमुल हफ़ीज़
कलीमुल हफ़ीज़
सुप्रीम कोर्ट की हिदायत पर मरकज़ी हुकूमत ने एक फ़रमांबरदार शागिर्द की तरह अमल किया और आखि़रकार तलाक़ बिल न सिर्फ़ पास हो गया बल्कि राष्ट्रपति महोदय के दस्तख़त से...
“तलाक़ से भी ज़्यादा अहम मसाइल औरतों के सामने हैं”
पिछले दिनों लोकसभा में विजय के बाद प्रधानमंत्री ने जो बयान दिया था, इस में अल्पसंख्यकों के विकास और विश्वास की बात कही थी। जिस से तमाम अल्पसंख्यकों को ख़ुशी हुई...