– मोहम्मद अनस

अगर रेपिस्ट से नफरत करते हैं तो लिंचिंग करने वालों से भी नफरत की जानी चाहिए।

जब कहीं किसी बच्ची के साथ बलात्कार होता है, तो पूरा फेसबुक/ट्वीटर/इंस्टाग्राम यहां तक की मुख्यधारा की मीडिया उस बलात्कारी से बदला लेने को तैयार हो जाती है। जाति, धर्म, रंग, नस्ल देखे बिना हम रेपिस्ट को फांसी पर लटका देने। चौराहे पर टांग देने। सरे आम मार डालने की बात करते हैं। न्याय भी यही कहता है कि रेपिस्ट को सख़्त से सख़्त सज़ा होनी चाहिए। जब पूरा का पूरा समाज बलात्कारी को मौत की नींद सुला देने की बात करता है तो क्या आपको बुरा लगता है? मान लीजिए रेपिस्ट खान हो, तो क्या पठानों को उसकी फांसी से आपत्ति होगी? माना की रेपिस्ट अंसारी हो तो क्या अंसारियों को उसकी मौत की सज़ा से दुख होगा? मान लीजिए कि बलात्कारी पांडेय हो, तिवारी हो, श्रीवास्तव हो, सिंह हो तो क्या इन जातियों का समर्थन बलात्कारी को हासिल हो जाएगा? शायद सबका जवाब न हो। हममें से कोई भी किसी बलात्कारी का समर्थन तो छोड़िए, उसके साथ अपनी जाति या मज़हब का नाम तक जोड़ने में शर्माएंगे। बचेंगे कि उसकी पहचान, हमारे धार्मिक विश्वास से न जुड़ी हो। हम उस बलात्कारी को तुरंत ही अपनी जाति/धर्म से अलग कर देते हैं।

अब आते हैं टिकटॉक पर टीम-07 के लड़कों द्वारा तबरेज़ अंसारी की लिंचिंग पर बनाए गए वीडियो पर। टीम-07 ने एक वीडियो बनाया जिसमें उन्होंने कहा कि,’तबरेज़ अंसारी को मारने वालों, बड़ा होकर उसका बच्चा, ठीक वैसे ही तुम्हें मार दे तो उसे आतंकवादी मत कहना।’ इस बात पर दक्षिणपंथियों ने टिकटॉक की इस सेलीब्रेटी टीम के विरूद्ध मुंबई पुलिस में शिकायत की और टीम के खिलाफ 153(A) में मुकदमा दर्ज हो गया। 153 (A) अर्थात लिखे गए,बोले गए अथवा संकेतों के माध्यम से दो विभिन्न वर्गों के मध्य वैमनस्य बढ़ा रहा हो। यह जमानती अपराध है। एक वर्ष तक की सज़ा अथवा ज़ुर्माना या फिर दोनों दण्ड दिया जा सकता है।

टीम 07 के टिकटॉक अकाउंट पर करोड़ों की संख्या में फॉलोवर हैं। उनको वीडियोज़ कई लाख एवं करोड़ बार देखे जाते हैं। इसके सदस्य हॉय-बॉय टाइप के लड़के हैं। फिल्मी दुनिया के नए प्रोडेक्ट। बंबई की इंडस्ट्री में एक्टिंग करने वालों के पास दिमाग़ कितना होता है, यह हम सबको पता है। अस्सी फीसदी वही हैं, जो हमारे आसपास रहते हैं। ख़ूबसरती का समझदारी से पुराना खुन्नस रहा है। हां, अपवाद ज़रूर हैं इंडस्ट्री में। तबरेज़ को लेकर पूरी दुनिया में जिस तरह से मशाल जली है, उस मशाल को हर किसी ने अपने हिसाब से पकड़ा। टिकटॉक वालों ने भी फिल्मी अंदाज़ में मुद्दे को उठाने का प्रयास किया। जैसे रेप के बाद सेलीब्रेटियों के बयान आते हैं, कि ऐसा कर देना चाहिए, वैसा कर देना चाहिए। ठीक वैसे ही, टिकटॉक की टीम 07 ने भी अपना पक्ष रखा। लिंचिंग करने वालों से नफरत थी, सो उन्होंने तबरेज़ के अजन्में बच्चे, खुदा जाने तबरेज़ की बीवी के पेट में तबरेज़ का बच्चा पल रहा है या नहीं, लेकिन ड्रैमेटिक अंदाज़ में टीम ने तबरेज़ के बच्चे की प्रस्तुति कर दी। कि बच्चा बड़ा होगा तो बदला लेगा।

टीम ने यह कहीं नहीं कहा कि तबरेज़ का बच्चा बड़ा होकर हिंदुओं से बदला लेगा। ब्राह्मणों से बदला लेगा। ठाकुरों से बदला लेगा। यादवों से बदला लेगा। दलितों से बदला लेगा। वे तो अपने वीडियो में यही कह रहे हैं कि तबरेज़ का बच्चा बड़ा होकर अपने बाप की लिंचिंग करने वाले क़ातिलों से बदला लेगा। ये तो वहीं बात हो गई न कि रेप करोगे तो चौराहे पर लटका कर मार दिया जाएगा। बुरा नहीं लगता तब, जब किसी रेपिस्ट को मारने की बात की जाती है, फिर लिंचिग करने वालों से कैसी सहानुभूति? भीड़ बन कर बेकसूरों की हत्या करने वालों से कैसी हमदर्दी ? धर्म के नाम पर, आँखों में खून और हाथों में लाठी लिए लोगों से कैसी मोहब्बत? ये लोग तो वाकई नफरत के लायक हैं। इनका साथ क्यों दे रहे हैं? टिकटॉक की टीम 07 ने वही किया जो समाज चाहता है। क्या हम सब नहीं चाहते कि हत्यारों को फांसी हो, उन्हें जेल की कोठरी में भूखा प्यासा तड़पाया जाए जैसे कि तबरेज़ को तड़पाया गया था। हत्यारे की मौत की ईश्वर से प्रार्थना करना, पाप कैसे हो गया? हत्यारों की कोई जाति नहीं होती दोस्त। हत्यारे सिर्फ हत्यारे होते हैं। क़ातिल सिर्फ क़ातिल होते हैं। खान, अंसारी, पांडेय या यादव नहीं। हत्याओं में उनका स्वार्थ और हित छुपा होता है। वे हत्या अपने लिए करते हैं, समाज के लिए नहीं।

(ये लेखक के निजी विचार हैं, ये लेख वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद अनस के आधिकारिक फेसबुक हैंडलर से लिया गया है।)

Writer: Mohammad Anas

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