दिल्ली के पास फतेहपुर बेरी गांव हैं. यहां के गांव वालों ने पूरे देश के लिए एक नजीर पेश की है. इस गांव के लोगों ने सरकार के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान से इतने प्रेरित हुए कि अपनी जमीनें डीयू को मुफ्त में दान कर दी.
फतेहपुर बेरी गांव के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए गए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को साकार करने के लिए एक डिग्री कॉलेज की व्यवस्था कर दी है. दरअसल गांव वालों ने अपने क्षेत्र में महिला डिग्री कॉलेज बनाने के लिए 40 बीघा जमीन दिल्ली विश्वविद्यालय को मुफ्त में दान कर दी है.
इस कॉलेज के निर्माण के पीछे मकसद दिल्ली से जुड़े दूरदराज के गांवों की छात्राओं को ऐसा कॉलेज देना था जिससे उन्हें पढ़ाई के लिए भटकना न पड़े. इस संबंध में दिल्ली सरकार के पंचायत विभाग के निदेशक केएस मीणा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति दीपक त्यागी को एक पत्र लिखकर इसकी जानकारियों के साथ-साथ कुछ जरूरी निर्देश भी दिए हैं.
हॉस्टल के साथ ये सुविधाएं देने की बात
कुलपति को लिखे पत्र में ग्रामीणों की तरफ से ये साफ कहा गया है कि गांव की जमीन पर कॉलेज बनाया जाए. साथ ही कॉलेज परिसर में हॉस्टल की सुविधा होनी चाहिए ताकि छात्राओं को रहने की समस्या न हो. यही नहीं कॉलेज के स्टाफ और फैकल्टी के लोगों के लिए भी रहने की जगह मुहैया करवानी होगी.
स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स भी बने
कॉलेज परिसर में हॉस्टल की सुविधा और फैकल्टी आवास के अलावा गांववालों ने यह भी कहा है कि गांव के बच्चों को खेलने के लिए आधुनिक स्पोर्टस कॉम्प्लेक्स के साथ अन्य सुविधाएं भी होनी चाहिए.
मुफ्त में 99 सालों के लिए लीज पर दी गई जमीन
ग्रामीणों ने डिग्री कॉलेज की यह जमीन डीयू को मुफ्त में 99 सालों के लिए लीज पर दी है. इस बीच डीयू प्रशासन को कॉलेज की जमीन पर खास ध्यान देने की भी बात कही गई है. पत्र में साफ लिखा है कि डीयू को जमीन पर किसी भी तरह के अवैध कब्जे को रोकने के लिए व्यवस्था करनी होगी. साथ ही किसी भी दूसरे को यह जमीन ट्रांस्फर नहीं होगी और न ही इस पर कोई अन्य निर्माण कार्य किया जा सकेगा.
ग्रीनरी है गांव वालों की शर्त
गांववालों ने अपनी शर्तों में कॉलेज में हरियाली का वादा भी मांगा है. उन्होंने कहा है कि बीते कुछ सालों से राजधानी वासी प्रदूषण की समस्या से दो-चार हो रहे हैं. इसलिए डीयू को कॉलेज बनाने के साथ-साथ हरियाली का भी खास ध्यान रखना होगा. पर्याप्त पेड़-पौधे लगाने होंगे. इस मामले में कहा गया है कि अगर जमीन से संबंधित कोई विवाद होता है या किसी दूसरे तरह का निर्माण होता है तो यह मामला सीधा एलजी के पास जाएगा.