अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान वृहस्पतिवार को मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने कहा कि इस मामले में पेश होने के कारण उन्हें फेसबुक पर धमकी मिल रही है। साथ ही उन्होंने यूपी के मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा के उस बयान का भी हवाला दिया कि अयोध्या तो हिन्दुओं का है और सुप्रीम कोर्ट भी हमारा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम इस तरह के बयान की निंदा करते हैं। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्ष बिना किसी दबाव के निर्भीक होकर अपनी दलीलें पेश करें।
धवन ने चीफ जस्टिस रंजन गोगई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ के समक्ष सुनवाई की 22वें दिन की शुरुआत इस बात से की कि उन्हें फेसबुक पर धमकी दी गई है। उनकेक्लर्क को कोर्ट परिसर में धमकाया गया है। धवन ने कहा कि माहौल सही नहीं लग रहा है। यूपी के मंत्री बयान दे रहे हैं कि अयोध्या तो हिन्दुओं की है और सुप्रीम भी उनका ही है। धवन ने कहा कि वह एक के बाद अवमानना याचिका दायर नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि वह हिन्दू आस्था के खिलाफ नहीं है। वह खुद भी कुछ मामलों में हिन्दू पक्षकारों की ओर से पेश हो चुके हैं।
इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगई ने धवन से कहा कि आप इन बातों से प्रभावित न हो। उन्होंने कहा कि इस तरह का बयान किसी को नहीं देना चाहिए। दोनें पक्ष को बिना किसी दबाव केदलीलें पेश करनी चाहिए। चीफ जस्टिस ने धवन से सवाल किया कि क्या आप सुरक्षा चाहते हैं? जवाब में धवन ने कहा कि उन्हें सुरक्षा की जरूरत नहीं है, अदालत की टिप्पणी ही मेरे लिए काफी है।
इसके बाद धवन ने कहा कि वह निर्मोही अखाड़ा के शेबियत(प्रबंधन व देखरेख का अधिकार) को चुनौती नहीं दे रहे है। हम यह मानते हैं कि 1858 से निर्मोही अखाड़ा बाहरी अहाते में पूजा करते थे। हमारा कहना है कि वर्ष 1946 में गुबंद केनीचे मूर्ति को रखा गया है, यह अवैध काम था। धवन ने कहा कि पहले यह यह अवैध काम करना नहीं चाहिए था। बाद में इसी अवैध काम के आधार पर वहां पर अधिकार का दावा नहीं ठोका जा सकता।
धवन ने कहा कि इस अवैध काम के कारण हमें उस जगह पर नमाज नहीं पढने दिया गया। धवन ने सवाल किया कि क्या इस अवैध काम के आधार पर वे(हिन्दू पक्ष) वहां पर दावा ठोक सकते हैं? पहले हिन्दू पक्ष मानते थे कि शुक्रवार को वहां पर नमाज पढ़ी जाती थी लेकिन अब वे इस बात से भी मुकर गए हैं। धवन ने कहा कि गैरकाननी काम कर कोई अधिकार का दावा नहीं कर सकता। कोई गलत हरकत का लाभ नहीं ले सकता।