दिल्ली कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। चौंकाने वाली बात यह कि अब इस चर्चा में पार्टी के सेलिब्रिटी नेता नवजोत सिंह सिद्धू और शत्रुघ्न सिन्हा का नाम भी जुड़ गया है। कहा जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी को थामने के लिए बाहर से भी नया अध्यक्ष लाने का फैसला लिया जा सकता है।
गौरतलब है कि शीला दीक्षित के निधन के बाद प्रदेश कांग्रेस में शून्य की स्थिति बन गई है। पार्टी के लिए उनके कद का नेता ढूंढना भी नामुमकिन ही है। हालांकि 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही शीला को भी यूं तो प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी इसी साल जनवरी में दी गई थी। बावजूद इसके हाल ही के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने अनुभव से दिल्ली में पार्टी को तीसरे से दूसरे स्थान पर ला खड़ा किया।
इन नेताओं का भी नाम चर्चा में:
पार्टी सूत्रों का कहना है कि नए अध्यक्ष के तौर पर जिन नामों की चर्चा है उनमें पूर्व सांसद व पूर्व अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल प्रमुख हैं। कहा जा रहा है कि संगठन चलाने के उनके अनुभव को देखते हुए पार्टी उन्हें फिर से कमान दे सकती है। पूर्वाचल नेता के तौर पर पूर्व सांसद महाबल मिश्रा के नाम पर चर्चा हो रही है। एक और नाम पूर्व मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली का है।
पार्टी के ये नेता भी प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में:
युवा और इनके उत्साह को देखते हुए इनके नाम पर भी चर्चा चल रही है। पुराने एवं अनुभवी नेताओं में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा का नाम भी चर्चा में है। पार्टी का एक वर्ग पूर्व सांसद संदीप दीक्षित के पक्ष में भी आवाज उठा रहा है, लेकिन किसी नाम पर सर्वस्वीकार्यता नहीं बनने के कारण सिद्धू और शत्रुघ्न सिन्हा के नाम पर भी मंथन शुरू हो गया है। पार्टी को लगता है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कम समय रह जाने के कारण उक्त दोनों ही नेता पार्टी को ऊपर उठाने में मददगार हो सकते हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर कहीं से कोई जानकारी मिल पा रही है।
बता दें कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित का निधन अभी हाल में ही हो गया। शीला के निधन के बाद से ही नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर अटकलों लगनी शुरू हो गई हैं। दिल्ली में अक्सर शीला दीक्षित और पीसी चाको व अजय माकन के बीच मनमुटाव की खबरें आती रहती थी। इसी साल के अंत में या फिर नए साल के शुरू में दिल्ली में विधानसभा चुनाव हो सकता है। ऐसे पार्टी गुटबाजी खत्म कर नई ऊर्जा के साथ चुनाव में उतरना चाहती है।