सरकारी टेलिकॉम कंपनी बीएसएनएल ने सरकार को एक SOS भेजा है, जिसमें कंपनी ने ऑपरेशंस जारी रखने में लगभग अक्षमता जताई है। कंपनी ने कहा है कि कैश कमी के चलते जून के लिए लगभग 850 करोड़ रुपये की सैलरी दे पाना मुश्किल है।

हाइलाइट्स

  • सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल ने केंद्र से वित्तीय मदद की लगाई गुहार
  • कंपनी ने परिचालन जारी रखने और कर्मियों को जून की सैलरी देने में जताई असमर्थता
  • कंपनी ने कहा है कि उसके लिए 850 करोड़ रुपये सैलरी मद में दे पाना मुश्किल
  • कंपनी पर अभी करीब 13 हजार करोड़ रुपये की आउटस्टैंडिंग लायबिलिटी
नई दिल्ली
सरकारी टेलिकॉम कंपनी बीएसएनएल ने सरकार को एक SOS भेजा है, जिसमें कंपनी ने ऑपरेशंस जारी रखने में लगभग अक्षमता जताई है। कंपनी ने कहा है कि कैश कमी के चलते जून के लिए लगभग 850 करोड़ रुपये की सैलरी दे पाना मुश्किल है। कंपनी पर अभी करीब 13 हजार करोड़ रुपये की आउटस्टैंडिंग लायबिलिटी है, जिसके चलते बीएसएनएल का कारोबार डांवाडोल हो रहा है।

बीएसएनएल के कॉर्पोरेट बजट ऐंड बैंकिंग डिविजन के सीनियर जनरल मैनेजर पूरन चंद्र ने टेलिकॉम मंत्रालय में जॉइंट सेक्रटरी को लिखे एक पत्र में कहा, ‘हर महीने के रेवेन्यू और खर्चों में गैप के चलते अब कंपनी का संचालन जारी रखना चिंता का विषय बन गया है क्योंकि अब यह एक ऐसे लेवल पर पहुंच चुका है जहां बिना किसी पर्याप्त इक्विटी को शामिल किए बीएसएनएल के ऑपरेशंस जारी रखना लगभग नामुमकिन होगा।’

हालात का जायजा ले चुके हैं पीएम
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कुछ महीने पहले बीएसएनएल की डांवाडोल हालत का जायजा लिया था और इस दौरान कंपनी के चेयरमैन ने पीएम को एक प्रेजेंटेशन भी दिया था। हालांकि, इस बैठक के बाद भी इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पाया कि लगभग 1.7 लाख कर्मचारियों वाली कंपनी किस तरह खुद को संकट से उबार पाएगी।

सर्वाधिक घाटा सहने वाली टॉप पीएसयू

पिछले हफ्ते भी सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी ने सरकार से कंपनी के भाग्य का फैसला करने क लिए अगली कार्यवाही से संबंधित सलाह मांगने के लिए एक चिट्ठी लिखी थी। बता दें कि बीएसएनएल सबसे ज्यादा घाटा सहने वाली टॉप पीएसयू है और कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, बीएसएनएल ने दिसंबर, 2018 के आखिर तक 90,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का परिचालन नुकसान झेलना पड़ा था।

सैलरी बना सबसे बड़ा बोझ
कंपनी के समक्ष कर्मचारियों की सैलरी और अन्य बेनिफिट्स सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। वित्त वर्ष 2018 में रिटायरमेंट बेनिफिट्स सहित कर्मचारियों पर खर्च बीएसएनल के परिचालन राजस्व का 66% रहा, जबकि वित्त वर्ष 2006 में यह 21% था।

पीएम से हस्तक्षेप का आग्रह 
इससे पहले रविवार को ही बीएसएनएल के इंजिनियरों और लेखा पेशेवरों के एक संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कंपनी के पुनरूद्धार के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि बीएसएनएल पर कोई कर्ज नहीं है और इसकी बाजार हिस्सेदारी में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में कंपनी को फिर से खड़ा किया जाना चाहिए। कंपनी में उन कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए जो अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं।

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