विधानमंडल दल के नेता और प्रदेश के सबसे रईस विधायक बसपा के गुड्डू जमाली ने बसपा से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने मायावती को भेजे पत्र में कहा है कि उन्होंने महसूस किया है कि पार्टी को उनकी जरूरत नहीं है। लिहाजा विधानमंडल दल का नेता पद छोड़ रहे हैं और विधायक पद से भी इस्तीफा दे रहे हैं।बसपा सुप्रीमो मायावती को एक और तगड़ा झटका लगा है। पार्टी के विधानमंडल दल के नेता और प्रदेश के सबसे रईस विधायक बसपा के गुड्डू जमाली ने बृहस्पतिवार को बसपा से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने मायावती को भेजे पत्र में कहा है कि उन्होंने महसूस किया है कि पार्टी को उनकी जरूरत नहीं है। लिहाजा विधानमंडल दल का नेता पद छोड़ रहे हैं और विधायक पद से भी इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सम्मान से समझौता करके तो पार्टी में नहीं रहा जा सकता है।
आजमगढ़ के मुबारकपुर सीट से विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को लालजी वर्मा के बसपा छोड़ने के बाद विधानमंडल दल का नेता बनाया गया था। माना जा रहा है कि जमाली सपा में जा सकते हैं। चर्चा है कि जमाली की बात सपा प्रमुख अखिलेश यादव से हो चुकी हैं और वह जल्द ही सपा ज्वाइन कर सकते हैं। हालांकि जमाली इससे इंकार कर रहे हैं।
किसी के कहने पर बहनजी कुछ भी समझने लगें, यह दुर्भाग्यपूर्ण : जमाली
आजमगढ़ की सगड़ी से बसपा विधायक वंदना सिंह के पार्टी छोड़ने के अगले ही दिन बसपा विधानमंडल दल के नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने पार्टी छोड़कर मायावती को तगड़ा झटका दिया है। उन्होंने कहा, मैं हमेशा बसपा सुप्रीमो का विश्वसनीय रहा और कभी भी दल के साथ छल कपट नहीं किया। पर, अब बहनजी किसी के भी कहने पर कुछ भी समझने लगेंगी तो यह दुर्भाग्य है। सम्मान से समझौता करके तो पार्टी में नहीं रहा जा सकता है।
मुबारकपुर से विधायक उन्होंने बसपा प्रमुख को पत्र भेजकर कहा कि 21 नवंबर को उनके (मायावती के) साथ हुई मीटिंग में मैंने यह महसूस किया कि बसपा प्रमुख उनकी निष्ठा एवं ईमानदारी के बावजूद संतुष्ट नहीं हैं। मीटिंग में हुई बातों पर कई दिन विचार करने के बाद उन्हें यह लगा कि वे पार्टी पर एक बोझ बने हैं। वे पार्टी में बोझ बनकर नहीं रहना चाहते हैं। सप में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी अभी किसी भी अन्य पार्टी से कोई बात नहीं हुई है।
मैं भी कह सकता हूं कि मुझसे चंदा लाने को कहा गया : जमाली ने कहा कि बसपा की ओर से कही जा रही बात पूरी तरह से निराधार है। ऐसे तो मैं भी कह सकता हूं कि मायावती ने मुझे बुलाकर कहा है कि प्रदेश भर में जितने धनाढ्य मुस्लिम आपके संपर्क में हैं उनकी लिस्ट बनाओ और मुझे मिलवाओ। चंदा वसूल कराओ, लेकिन मैं ऐसा नहीं कहूंगा। मुझे बिना वजह उकसाया जा रहा है।
बसपा में अब बाकी रह गए बस चार विधायक
चुनावी समर में एक तरफ जहां बाकी दलों में लोग अपना राजनीतिक कैरियर तलाशने को शामिल हो रहे हैं तो बसपा में दिग्गज लगातार पार्टी छोड़ रहे हैं। बृहस्पतिवार को विधायक गुड्डू जमाली के भी किनारा कर लेने केबाद बसपा में केवल चार विधायक रह गए हैं। चार बार सत्ता के शिखर तक पहुंची बसपा इस समय संकट में नजर आ रही है। दरअसल उसके अपने सिपहसालार लगातार पार्टी छोड़ छोड़कर दूसरे दलों में जा रहे हैं। उप्र विधानसभा चुनाव से ऐन पहले पार्टी में भगदड़ की स्थिति है। दस साल में पार्टी छोड़ने वाले महारथियों का सैकड़ा पार हो चुका है। इस समय पार्टी में बस चार विधायक ही रह गए हैं। श्याम सुंदर शर्मा, उमाशंकर सिंह, विनय शंकर तिवारी, आजाद अरिमर्दन फिलहाल पार्टी में सक्रिय विधायक रह गए हैं। अहम बात यह भी है कि बसपा के पिछले दो विधानमंडल दल नेताओं ने ही पार्टी छोड़ दी। ऐसे में अब यह भी सवाल खड़ा हो गया है कि अगला विधानमंडल दल का नेता किसे बनाया जाए। चर्चा इनमें से भी किसी के सपा या भाजपा में जाने की जोरों पर है।
19 में से रह गए चार
2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन खराब ही रहा था। कुल 19 सीटें बसपा ने जीतीं थी और इसमें भी एक सीट अंबेडकरनगर जिले के उपचुनाव में पार्टी हार गई थी। यानि पार्टी के पास विधायकों की संख्या 18 रह गई थी। पहले अलग-अलग समय पर पार्टी विरोधी गतिविधियों की बात कहकर 9 विधायकों को निलंबित किया गया। उसके बाद लालजी वर्मा और राम अचल राजभर का निष्कासन हुआ और दोनों ने ही सपा ज्वाइन कर ली। विधायक मुख्तार अंसारी को पार्टी भविष्य में चुनाव न लड़ाने का एलान कर चुकी है। उनकेभाई और भतीजे ने सपा का दामन थामा तो मायावती ने यह कदम उठाया। विधायक सुखदेव राजभर का निधन हो चुका है। ऐसे में बसपा के बसपा के पास बस चार विधायक ही रह गए हैं।
बसपा ने कहा, अपने ऊपर दर्ज केस को वापस कराने का दबाव बना रहे थे जमाली
शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के इस्तीफे पर बसपा की राज्य इकाई ने कहा है कि जमाली की कंपनी में काम करने वाली एक लड़की ने उन पर गंभीर आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था। इसकी विवेचना चल रही है। इस घटना के बाद वे पार्टी पर लगातार दबाव बना रहे थे कि सीएम से कहकर मामले को रफा-दफा कराया जाए। इस पर पार्टी ने मना कर दिया था और कहा था कि बेहतर होगा कि यदि आपको विवेचना में न्याय नहीं मिलता है तो कोर्ट में जाएं। राज्य इकाई की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इससे नाराज जमाली ने कहा था कि यदि मेरी मदद नहीं की गई तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। इसी के चलते उन्होंने त्यागपत्र दिया है।
मुस्लिमों के साधने के लिए मायावती ने जमाली पर लगाया था दांव
पार्टी ने जून में जमाली को विधानमंडल दल का नेता तब बनाया था, जब पार्टी के तत्कालीन विधानमंडल दल नेता लालजी वर्मा ने बसपा छोड़कर सपा का दामन थाम लिया था। आनन फानन में उन्हें निष्कासित कर जमाली पर दांव लगाकर बसपा ने मुस्लिमों को साधने की कोशिश की थी, पर यह समीकरण छह माह भी नहीं चल पाया।
114 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं जमाली
जमाली प्रदेश में सबसे अधिक चल-अचल संपत्ति वाले विधायक हैं। एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक जमाली के पास 118 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति है। इसमें 1.11 अरब की चल व 6.92 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है।