लंदन
करीब 3 लाख लोगों पर 5 साल तक की गई एक स्टडी में वायु प्रदूषण का हमारे फेफड़ों पर कितना बुरा असर पड़ता है यह जानने की कोशिश की गई और इस स्टडी के नतीजे हैरान करने वाले हैं।
वैसे तो हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर इंसान की जीवन अवधि यानी उम्र को तेजी से कम कर रहा है। लेकिन अब इस नई स्टडी की मानें तो हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व इंसान के फेफड़ों को उम्र से पहले बूढ़ा बना रहे हैं।
तेजी से घट रही है फेफड़ों की कार्य क्षमता
फेफड़ों की उम्र बढ़ने की वजह से फेफड़े समय से पहले कमजोर हो जाते हैं और शरीर के सभी फंक्शन्स के लिए जरूरी ऑक्सिजन को प्रोसेस करने की उनकी क्षमता घट जाती है और ब्लड सर्कुलेशन भी प्रभावित होता है। वायु प्रदूषण की वजह से न सिर्फ आपके फेफड़े कमजोर हो रहे हैं बल्कि क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज (COPD) होने का खतरा भी कई गुना बढ़ रहा है। इस बीमारी में फेफड़ों में जलन और सूजन होने लगती है जिससे सांस की नली धीरे-धीरे संकरी होने लगती है जिस वजह से सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
45 साल के व्यक्ति के फेफड़े 61 साल के व्यक्ति जैसे
हवा में मौजूद PM2.5 वायु प्रदूषक की उपस्थिति की वजह से हर साल आपके फेफड़े 2 साल ज्यादा बूढ़े हो रहे हैं और फेफड़ों की कार्यक्षमता भी तेजी से घटने लगती है। उदाहरण के लिए अगर आप दिल्ली जैसे शहर में रहते हैं जो दुनिया के टॉप 5 या टॉप 10 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में से एक है तो आपका शरीर और खासकर आपके फेफड़े आपकी ऐक्चुअल उम्र से पहले ही बूढ़े होने लग जाते हैं। ऐसे में अगर आप 45 साल के हैं तो आपके फेफड़े 61 साल के व्यक्ति के फेफड़ों जैसे होंगे और इसके लिए जिम्मेदार है हर दिन बढ़ता पलूशन।
वायु प्रदूषण की वजह से एजिंग प्रोसेस हो रहा है तेज
यूरोपियन रेस्पिरेटरी नाम के जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि वैसे तो जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है फेफड़ों की कार्यक्षमता कम होने लगती है लेकिन वायु प्रदूषण की वजह से एजिंग प्रोसेस यानी आयुवृद्धि की प्रक्रिया तेज हो रही है और फेफड़ों को इसका सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है। स्टडी में शामिल प्रतिभागियों की उम्र, लिंग, बॉडी मास इंडेक्स, इनकम, एजुकेशन लेवल, स्मोकिंग स्टेटस और सेकंड हैंड स्मोक के प्रति कितना एक्सपोजर है इन सभी बातों की जांच की गई।