पाकिस्तान ने बुधवार को दावा किया है कि भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव ने अपने मृत्युदंड पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से इनकार कर दिया है.
नई दिल्ली: भारत ने पाकिस्तान की उस दलील को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव ने अपने मृत्युदंड पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से इनकार कर दिया है.
जाधव जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान ने जाधव पर दबाव डालकर ये फैसला कराया है.
मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय अदालत की तरफ से दिए गए फैसले के तहत जाधव को मिले अधिकारों का उन्हें इस्तेमाल नहीं करने देना चाहता है.
इससे पहले पाकिस्तान ने दावा किया था कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को अपनी सजा पर पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया.
पाकिस्तान सरकार का कहना है कि उन्होंने जाधव को दूसरी बार काउंसुलर एक्सेस (राजनयिक पहुंच) देने का प्रस्ताव भारत को भेजा है और जाधव के पिता और उनकी पत्नी को मिलने की अनुमति दी गई है.
पाकिस्तान का कहना है कि उन्होंने इस बाबत भारतीय उच्चायोग को लिखित सूचना दी है.
पाकिस्तान द्वारा कहा गया था कि मार्च 2016 को जाधव को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया था. इस्लामाबाद ने दावा किया था कि जाधव एक सेवारत भारतीय नौसेना अधिकारी थे, जिन्होंने पाकिस्तान के अंदर कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया था.
इन दावों को खारिज करते हुए भारत ने कहा कि जाधव पहले ही भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त हो चुके थे और पाकिस्तान ने उन्हें ईरानी सीमा क्षेत्र से अपहरण कर लिया था.
बुधवार की प्रेस वार्ता में पाकिस्तान के अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल ने कहा कि पाकिस्तान ने 20 मई को ‘अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की समीक्षा और पुनर्विचार अध्यादेश 2020’ नामक एक अध्यादेश पारित किया है.
उन्होंने कहा कि इसके तहत अध्यादेश की घोषणा के 60 दिनों के भीतर, यानी कि 20 मई 2020 तक, एक आवेदन के माध्यम से इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में समीक्षा और पुनर्विचार के लिए एक याचिका दी जा सकती है.
अध्यादेश की धारा 20 के अनुसार कानूनी तौर पर अधिकृत प्रतिनिधि या भारतीय उच्चायोग के एक राजनयिक अधिकारी के जरिये कमांडर जाधव द्वारा समीक्षा और पुनर्विचार याचिका दायर किया जा सकता है.’
अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल ने कहा कि 17 मई को जाधव को पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए आमंत्रित किया गया था. लेकिन उन्होंने अपने कानूनी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए उनकी सजा पर पुनर्विचार याचिका दायर करने से मना कर दिया. इसकी जगह पर उन्होंने दया याचिका दायर करना उचित समझा.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने और समयसीमा से पहले कमांडर जाधव की सजा पर पुनर्विचार प्रक्रिया शुरू करने के लिए भारतीय उच्चायोग को भी पत्र लिखा था.
इसे लेकर बीते बुधवार की रात को भारत द्वारा जारी बयान में दोबारा काउंसुलर एक्सेस के बारे में तो नहीं कहा गया लेकिन सरकार ने पाकिस्तान के बयानों को सिरे से खारिज कर दिया.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पाकिस्तान के अध्यादेश पर सवाल उठाया और कहा कि पाक सरकार ने अपने उन बयानों से यू-टर्न लिया है जिसमें उन्होंने हमेशा कहा है कि उनके पास समीक्षा के लिए पर्याप्त कानून हैं.
यह कहते हुए कि पाकिस्तान सरकार की कोशिशों में उनकी नीयत में खोट झलकता है, भारत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले को करीब एक साल होने जा रहा है, लेकिन अब तक पाक सरकार ने भारत को न तो इस मामले से संबंधित एफआईआर दी है, न जांच रिपोर्ट सौंपी है और न ही साक्ष्य बताए हैं. इससे स्पष्ट है कि यहां मंशा स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से अदालती समीक्षा की है ही नहीं.
उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान ने स्पष्ट रूप से जाधव को आईसीजे के फैसले के कार्यान्वयन के लिए अपने अधिकारों को वापस लेने के लिए मजबूर किया है.’
पाकिस्तान ने जाधव को अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोप में सैन्य अदालत ने मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद पाकिस्तान द्वारा भारत को जाधव तक राजनयिक पहुंच प्रदान करने से इनकार करने और उनकी मृत्युदंड की सजा को चुनौती देते हुए मई 2017 में भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) का रुख किया था.
जुलाई 2019 में आईसीजे ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पाकिस्तान से जाधव की सजा की समीक्षा करने और उन्हें जल्द से जल्द राजनयिक पहुंच देने का आदेश दिया था.
अदालत ने कहा था कि पाकिस्तान ने जाधव को राजनयिक पहुंच नहीं देकर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है.
आईसीजे में जाधव मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे भारत की तरफ से प्रमुख वकील थे. उन्होंने कहा था कि जाधव की रिहाई के लिए भारत ने पाकिस्तान को बैक- चैनल मनाने की कोशिश की थी.
साल्वे का कहना था कि आज तक पाकिस्तान ने इस मामले में दर्ज एफआईआर, चार्जशीट और सैन्य अदालत के फैसले की कॉपी साझा करने से इनकार करता रहा है.