दिल्ली सरकार के इस फैसले पर पटाखा कारोबारियों ने कहा कि वे उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात करेंगे और इस संबंध में राहत देने का अनुरोध करेंगे. उधर, दिल्ली में वायु प्रदूषण को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सरकारी, निजी कार्यालयों तथा अन्य प्रतिष्ठानों को कम से कम 30 प्रतिशत गाड़ियों का इस्तेमाल घटाने का सुझाव दिया है.
नई दिल्ली: कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा के बाद बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिवाली के पहले दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने और अस्पतालों में चिकित्सा संबंधी आधारभूत ढांचे को दुरुस्त करने का फैसला किया है.
मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और जिलाधिकारियों (डीएम) के साथ समीक्षा बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि त्योहार के मौजूदा मौसम और प्रदूषण के कारण दिल्ली में कोविड-19 के मामले बढ़े हैं .
पिछले कुछ दिनों में कोविड-19 के मामलों में तेज बढ़ोतरी हुई है और गुरुवार को लगातार तीसरे दिन संक्रमण के 6,000 से ज्यादा मामले आए.
केजरीवाल ने कहा, ‘दिल्ली में कोरोना की स्थिति और तैयारियों के लिए मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और सभी जिलाधिकारियों के साथ बैठक की. त्योहार के मौसम और प्रदूषण के कारण संक्रमण के मामले बढ़े हैं. दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने, चिकित्सा संबंधी आधारभूत ढांचा को चाक-चौबंद बनाने, दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ऑक्सीजन और आईसीयू बेड बढ़ाने का फैसला किया गया है.’
इससे पहले दिन में मुख्यमंत्री ने इस दिवाली पर दिल्लीवासियों से पटाखे नहीं चलाने की अपील की थी.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक साउथ दिल्ली रेजिडेंट्स वेलफेयर कमेटी के महासचिव मेनका रे ने कहा कि 5 साल से कम उम्र के 53 अभिभावकों ने इस साल दिवाली से पहले पटाखा फोड़ने पर प्रतिबंध लगाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक संयुक्त आवेदन भेजा था.
उन्होंने कहा कि यह कदम उन सभी माता-पिता और कई अन्य लोगों के लिए एक राहत के रूप में आया है.
रे ने कहा, ‘मेरी बेटी का जन्म दमा के साथ हुआ था और हर साल दिवाली से पहले उसकी हालत बिगड़ जाती है. मेरे जैसे कई माता-पिता इस कदम के लिए आभारी हैं.’
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की कार्यकारी निदेशक (अनुसंधान और वकालत) अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा, ‘प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हमें और अधिक आक्रामक होने की आवश्यकता है. जब आप इस तरह का प्रतिबंध लगाते हैं, तो प्रवर्तन मुश्किल हो जाता है, लेकिन अब लोगों की भागीदारी का बहुत महत्व है.’
कारोबारियों ने कहा, पटाखों पर प्रतिबंध लगाने से काफी नुकसान होगा
दिवाली और अन्य त्योहार के पहले सभी तरह के पटाखा पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले पर कारोबारियों और दुकानदारों ने कहा कि इस कदम के कारण उन्हें काफी नुकसान होगा.
कारोबारियों ने कहा कि वे उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात करेंगे और इस संबंध में फैसले से राहत देने का अनुरोध करेंगे.
कारोबारियों ने कहा कि आगामी दिनों में दिवाली, छठ और गुरु पर्व जैसे त्योहारों के मद्देनजर वे पहले से करोड़ों रुपये का पटाखा खरीद चुके हैं.
जामा मस्जिद इलाके में पटाखा बेचने का लाइसेंस ले चुके एक दुकानदार ने कहा, ‘अगर सरकार को प्रतिबंध लगाना था तो वह पहले फैसला कर सकती थी. इससे हमें नुकसान नहीं होता.’
उन्होंने कहा, ‘प्रतिबंध के कारण वित्तीय घाटा से उबरने का रास्ता तलाशने के लिए हम बैठक करेंगे. इस संबंध में एक प्रतिनिधिमंडल के शुक्रवार को उपराज्यपाल से भेंट करने की संभावना है.’
हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में थोक व्यापारी तुषार रामदास ने कहा, ‘सरकार बिना किसी चेतावनी के सभी पटाखों पर प्रतिबंध की घोषणा कैसे कर सकती है? हमने लाखों का निवेश किया था और अब हम खुद को डूबने से कैसे बचा पाएंगे?’
वहीं, राजौरी गार्डन पटाखा बाजार एसोसिएशन के हरदयाल सिंह ने कहा, ‘कई लोग इसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2018 के प्रतिबंध के पुनरावृत्ति के रूप में देख रहे हैं, जिसने सैकड़ों व्यापारियों को अधर में छोड़ दिया था.’
उन्होंने कहा, ‘कई व्यापारी अपनी पत्नियों के आभूषण बेचकर किराये पर दुकानें लेते हैं. अब ये लोग कैसे बचेंगे?’
वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि ग्रीन पटाखों की बिक्री के लिए विभाग द्वारा जारी किए गए सभी 93 लाइसेंस अब रद्द कर दिए गए हैं.
सीपीसीबी ने सरकारी, निजी कार्यालयों से वाहनों का इस्तेमाल घटाने को कहा
दिल्ली में वायु की गुणवत्ता के ‘गंभीर’ स्थिति में पहुंचने के मद्देनजर सीपीसीबी के कार्यबल ने बृहस्पतिवार को सरकारी और निजी कार्यालयों तथा अन्य प्रतिष्ठानों को कम से कम 30 प्रतिशत गाड़ियों का इस्तेमाल घटाने का सुझाव दिया.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिव प्रशांत गर्गवा ने एक समीक्षा बैठक में कहा कि वायु की गुणवत्ता के बुधवार को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहने के संभावना थी, लेकिन हवा की रफ्तार कम होने से वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में चली गई.
मौसम विभाग के पर्यावरण अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वीके सोनी ने कहा कि हवा की गति में अचानक आने वाला बदलाव पूर्वानुमान के मॉडल में दर्ज नहीं हो पाता है.
कार्यबल ने सुझाव दिया, ‘सरकारी और निजी कार्यालयों और अन्य प्रतिष्ठानों को सलाह दी जाती है कि वाहनों का इस्तेमाल कम से कम 30 प्रतिशत घटाएं.’
बता दें कि दिल्ली में शुक्रवार को सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सभी क्षेत्रों में 400 से ऊपर था, जो ‘गंभीर’ श्रेणी का माना जाता है.
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के अनुसार आनंद विहार में एक्यूआई का स्तर 442, आरके पुरम में 407, द्वारका में 421 और बवाना में 430 रहा.