दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की शिकायत पर ट्विटर के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है. ट्विटर पर कथित तौर पर अपने प्लेटफॉर्म पर चाइल्ड पॉर्नोग्राफी के लिंक उपलब्ध कराने का आरोप है.
नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की शिकायत पर ट्विटर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
ट्विटर पर कथित तौर पर अपने प्लेटफॉर्म पर चाइल्ड पॉर्नोग्राफी के लिंक उपलब्ध कराने का आरोप है.
ट्विटर के खिलाफ आईपीसी, यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा कानून (पॉक्सो) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता चिनमय बिस्वाल ने कहा, ट्विटर पर विभिन्न एकाउंट और लिंक के जरिए बाल यौन शोषण और चाइल्ड पॉर्नोग्राफी की सामग्री उपलब्ध होने के संबंध में एनसीपीसीआर की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने आईपीसी, आईटी एक्ट और पॉक्सो अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है और जांच जारी है.
दरअसल एनसीपीसीआर की ओर से पुलिस उपायुक्त (साइबर प्रकोष्ठ) अन्येष रॉय से पूछा गया था कि 29 मई को दिल्ली पुलिस को लिखे गए पत्र के अनुसार ट्विटर के विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं की गई. इसके बाद ही यह कार्रवाई की गई है.
पत्र में आयोग ने दिल्ली पुलिस से ट्विटर के खिलाफ मामला दर्ज करने को कहा था. आयोग का कहना है कि हाल में की गई जांच में पाया गया था कि बच्चों के यौन शोषण से संबंधित सामग्री ट्विटर पर आसानी से उपलब्ध है.
पुलिस का कहना है कि यह शिकायत ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के विरुद्ध की गई है.
एनसीपीसीआर ने अपने 29 मई के पत्र में कहा कि जांच में यह पता चला कि ट्विटर पर चाइल्ड पॉर्न और डार्क वेब के कई लिंक उपलब्ध है, जहां बच्चों सहित सभी की पहुंच है.
इस पर ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा कि बाल यौन उत्पीड़न पर उसकी नीति कतई बर्दाश्त करने वाली नहीं है और इस मुद्दे से निपटने में वह कानूनी एजेंसियों एवं भारत में गैर सरकारी संगठन सहयोगियों के साथ मिलकर काम करेगा.
मालूम हो कि यह कदम वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के उस ऐलान के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि ट्विटर इंडिया मध्यस्थ नहीं है और आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत कानूनी सुरक्षा के लिए उत्तरदायी नहीं है.
मालूम हो कि इससे पहले रविवार को ट्विटर के भारत में नियुक्त अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी ने नियुक्ति से चार हफ्ते से कम समय में ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ के लिए दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमावली 2021 के तहत प्लेटफॉर्म पर उनका नाम और पता दिखाई नहीं दे रहा है जबकि उनकी जगह एक अमेरिकी कर्मचारी जेरेमी केसल (ग्लोबल लीगल पॉलिसी निदेशक) का नाम दिखाई दे रहा है.
उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया नियमों को लेकर ट्विटर और केंद्र सरकार के बीच काफी समय से टकराव रहा है. सरकार ने ट्विटर पर जान-बूझकर इन नए नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया है.
बता दें कि नए आईटी नियमों के तहत भारतीय यूजर्स की शिकायतों पर कार्रवाई के लिए सोशल मीडिया कंपनियों में मुख्य अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति जरूरी है.
देश के गलत नक़्शे के मामले में यूपी के बाद मध्य प्रदेश में एफआईआर दर्ज
देश का गलत मानचित्र लगाने के लिए भारत में ट्विटर के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में दो एफआईआर दर्ज की गई हैं.
देश के गलत नक्शे के मुद्दे पर बुलंदशहर जिले के खुर्जा कोतवाली में बजरंग दल के पदाधिकारी की तहरीर पर ट्विटर के के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी व इंडिया हेड अमृता त्रिपाठी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है.
इसी मामले में मध्य प्रदेश में भी ट्विटर पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा द्वारा मंगलवार को निर्देश दिए जाने के कुछ ही घंटों बाद यहां पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ में ट्विटर पर भारत के नक्शे के साथ छेड़छाड़ कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग देश दिखाने के मामले में कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी मनीष माहेश्वरी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
साइबर प्रकोष्ठ के पुलिस अधीक्षक गुरकरण सिंह ने बताया, ट्विटर पर भारत के नक्शे के साथ छेड़छाड़ के मामले में शिकायत मिलने के बाद ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी के खिलाफ भादंसं की धारा 505 (2) के तहत साइबर प्रकोष्ठ में प्राथमिकी दर्ज की गई है.’
उन्होंने कहा कि दुर्गेश केसवानी की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया है. केसवानी मध्य प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता हैं.
इस बीच उत्तर प्रदेश पुलिस ने गाजियाबाद में एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति के साथ मारपीट से जुड़े मामले की जांच के सिलसिले में ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है.
उच्च न्यायालय ने 24 जून को माहेश्वरी को राहत देते हुए गाजियाबाद पुलिस को उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को कहा था और यह भी कहा था कि उनसे डिजिटल तरीके से पूछताछ की जा सकती है. गाजियाबाद पुलिस ने माहेश्वरी को समन जारी किया था.