चाइनीज ऐप टिकटॉक के बैन होने से दो हजार भारतीयों की नौकरी खतरे में आ गई है। भारत में टिकटॉक के डेवेलपर बाइटडांस में करीब 2000-2200 लोग काम करते हैं।
भास्कर डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, कई ऐसे टिकटॉक स्टार्स हैं, जो इस शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म के जरिए एक वीडियो से लाखों की कमाई करते हैं। हालांकि, टिकटॉक की तरफ से यह आश्वासन दिया गया है कि सरकार से बातचीत कर जल्द ही कुछ निष्कर्ष निकाला जाएगा।
बता दें कि टिकटॉक के मजबूत बाजारों में से भारत एक है। एक रिपोर्ट के अनुसार, टिकटाॅक के दुनियाभर में करीब 80 करोड़ यूजर्स हैं। इनमें भारत मेंलगभग 20करोड़ यूजर्स हैं।
टिकटॉक के एक कर्मचारी ने बताया कि हम सालों से टिकटॉक में काम करते हैं। अब नौकरी जाने का डर बना हुआ है। हालांकि, इस पर कंपनी की तरफ से अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है।
टिकटॉक के स्टार्स अब देसी शॉट वीडियो प्लेटफॉर्म रोपोसो (ROPOSO) और चिंगारी जैसे ऐप की तरफ मूव कर रहे हैं। रोपोसो के फाउंडर और InMobi Group के सीईओ नवीन तिवारी ने मनी भास्कर को बताया कि भारत-चीन विवाद के बाद से ही हमारे प्लेटफॉर्म रोपोसो पर यूजर्स की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है।
पिछले 10 दिनों में टिकटॉक के कई बड़े स्टार्स हमारे ऐप से जुड़े हैं। इनमें वरूण सोनी (टिकटाॅक पर 2.8M फाॅलोवर्स), पायल कोहली (टिकटाॅक पर 2.1M फाॅलोवर्स), उल्हास कमहटे (टिकटाॅक पर 6.8 M फाॅलोवर्स), अंसारी जीशान (टिकटाॅक पर 1.2M फाॅलोवर्स) जैसे टिकटॉक स्टार्स ने इस प्लेटफॉर्म को ज्वाइन किया है।
कंपनी ने कहा कि हम टिकटॉक स्टार्स जिनके कंटेंट अच्छे होते हैं उन्हें अपने प्लेटफॉर्म पर टैलेंट शो करने का मौका देंगे। वे यहां से कमाई कर सकते हैं। बता दें कि रोपोसो भारतीय ऐप है और इसे टिकटॉक का सबसे बड़ा राइवल माना जाता है।
वहीं एक ब्रैंड के जानकार ने बताया कि कुछ बड़े ब्रैंड अब देसी ऐप को स्पान्सर्ड करेंगे। इनमें 5 बड़े ब्रैंड्स का रोपोसो से तो 2 ब्रैंड ने चिंगारी से डील करने को लेकर बातचीत की है। इन ब्रैंड्स का टिकटॉक स्टार्स के साथ डील है जो कि अब अन्य प्लेटफॉर्म के जरिए स्पांसर करेगी।
मोटिवेशनल स्पीकर अव्वल (Awal TsMadaan) टिकटाॅक पर इंग्लिश बोलना सिखाते हैं। हिन्दी के शब्दों व वाक्यों को इंग्लिश में कैसे बोलते हैं, वे इस पर वीडियो बनाते हैं। टिकटाॅक पर अव्वल के 6 मिलियन (60 लाख) फाॅलोवर्स थे।
अव्वल ने मनी भास्कर से बातचीत में बताया कि वे पिछले एक साल से टिकटाॅक ऐप से जुड़े हुए हैं। इन्हें कई बड़ी कंपनियों ने स्पाॅन्सर किया है और इसके लिए उन्हें लाखों रुपए तक मिले हैं।
अव्वल बताते हैं, ‘पहले मैं एक इंटरनेशनल एजेंसी में जाॅब करता था लेकिन टिकटाॅक पर अच्छा रिस्पांस मिलने के बाद मैंने जॉब छोड़ दी और टिकटाॅक पर ही फुल टाइम देने लगा।” वे बताते हैं कि जितनी सैलेरी उन्हें उस कंपनी में मिलती थी उससे तीन गुना ज्यादा रकम टिकटाॅक पर एक छोटी सी वीडियो से मिल जाती थी।
अव्वल ने बताया इसके लिए कंपनियां आपके फॉलोवर्स और कंटेंट देखती हैं और फिर उसके मुताबिक उससे संबंधित कंपनी, एजेंसी, एनजीओ अपना प्रमोशन करवाती थी। अव्वल को कई एजुकेशनल ऐप व संस्थानों से ऐड मिलता था।
दिल्ली की रहने वाली गुंजन टिकटाॅक वीडियो के जरिए लोगों को हेल्थ के प्रति जागरूक करती थी। शुरुआत में उन्होंने यह काम शौकिया तौर पर किया, लेकिन बाद में वीडियो पर ऐड के लिए कॉन्टैक्ट्स मिलने लगे तब गुंजन ने इसमें बतौर करियर काम करना शुरू कर दिया।
उन्होंने बातचीत में बताया कि मैं अभी एक मीडिया एजेंसी में काम करती थी, लेकिन टिकटाॅक पर टाइम नहीं पाने के कारण जाॅब से रिजाइन दे दिया था।
उसके बाद से पूरा टाइम टिकटाॅक पर देती थी ताकि अधिक से अधिक कंपनियों के लिए वीडियो बना सकें। गुंजन को एक वीडियो के लिए कंपनी 20 से 30 हजार रुपए पेमेंट करती थी।
गुंजन के मुताबिक, उन्हें हर दिन 4 से 5 कंपनियां अपने प्रोडक्ट के प्रमोशन के लिए अप्रोच करती थी। वे कहती हैं ‘हर कंपनी अपने बजट के मुताबिक डील करती थी।
छोटी कंपनियां एक ऐड वीडियो के 5 से 10 हजार रुपए तक देती हैं तो नाइका, वीवो, ओप्पो और पूमा जैसे ब्रांड 1 मिनट के ऐड के 80 हजार रुपए तक पेमेंट करने को तैयार रहती हैं।’ टिकटॉक अकाउंट पर गुंजन के 3 मिलियन से ज्यादा फॉलोवर्स थे।
वहीं, विशाल पांडे नाम के टिकटाॅकर भि टिकटाॅक की दुनिया में काफी मशहूर हो चुके हैं। सरकार ने इस फैसले का स्वगात करते हुए विशाल नेकहा कि हमारे फैंस हमें जल्द ही किसी अन्य प्लेटफाॅर्म पर देख सकेंगे।
टिकटॉक इंडिया के प्रमुख निखिल गांधी की तरफ से मंगलवार को जारी बयान में कहा गया है कि हमने किसी भी भारतीय टिकटॉक यूजर की कोई भी जानकारी विदेशी सरकार या चीनी सरकार को नहीं दी है।
उन्होंने कहा है कि इस मसले को लेकर क्लियरिफिकेशन और जवाब के लिए संबंधित सरकारी पक्षों से मिलने के लिए बुलाया गया है।
कंपनी के सूत्रों ने बताया कि ऐसे में निखिल सरकार के सामने भारतीय यूजर्स के डेटा शेयरिंग को लेकर बात रखेंगे क्योंकि कंपनी पहले से ही भारतीय यूजर्स के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद सेवाओं के विकल्पों की जांच के प्रोसेस पर काम कर रहा है। बाइटडांस पहले से ही भारत में एक डेटा सेंटर स्थापित करने की योजना बना रही है।
बाइटडांस के बयान के मुताबिक, भारत में हमारे प्लेटफॉर्म के लॉन्च के बाद से हमने अपने भारतीय यूजर्स के डेटा को अमेरिका और सिंगापुर के सेंटर्स में रखा है। भारतीय यूजर्स के डेटा का चीनी सर्वर से लेना देना नहीं है।