बीते 17 जुलाई को उत्तर प्रदेश के अमेठी की रहने वाली मां-बेटी ने भूमि विवाद पर पुलिस की ओर से कथित तौर पर कार्रवाई नहीं किए जाने के विरोध में मुख्यमंत्री कार्यालय के सामने ख़ुद पर मिट्टी तेल छिड़ककर आग लगा ली थी.
लखनऊ: जमीन विवाद की सुनवाई कथित रूप से न होने से परेशान होकर कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय के सामने बेटी के साथ आत्मदाह का प्रयास करने वाली महिला की मौत हो गई है.
लखनऊ स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आशुतोष दुबे ने बुधवार को बताया कि सफिया (50) ने अस्पताल में उपचार के दौरान बुधवार को दम तोड़ दिया. उनकी बेटी का इलाज चल रहा है.
समाजवादी पार्टी ने मृतक महिला के परिवार को दो लाख रुपये की मदद की घोषणा की है.
सफिया और उनकी बेटी गुड़िया ने 17 जुलाई को मुख्यमंत्री कार्यालय के सामने आत्मदाह का प्रयास किया था. अमेठी की रहने वाली मां-बेटी ने भूमि विवाद में कथित रूप से पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं किए जाने के विरोध में उक्त कदम उठाया था.
बीते 9 मई को सफिया का अपने पड़ोसी अर्जुन साहू से नाली को लेकर विवाद हुआ था. जिसमें गुड़िया की शिकायत पर पुलिस ने जामो थाने में अर्जुन साहू समेत चार लोगों के खिलाफ 323, 354 का मुकदमा दर्ज कर लिया था.
वहीं, अर्जुन साहू की शिकायत पर गुड़िया के खिलाफ भी धारा 323, 452, 308 का मुकदमा दर्ज हुआ था.
इस मामले में पुलिस की ओर से कथित तौर पर कार्रवाई नहीं किए जाने के विरोध में उन्होंने यह कदम उठाया था.
यह घटना अत्यंत कड़ी सुरक्षा वाली जगह पर हुई थी, जहां विधान भवन और लोकभवन हैं. लोक भवन में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कार्यालय है.
लखनऊ के पुलिस आयुक्त सुजीत पांडेय ने पिछले हफ्ते कहा था कि प्रथम दृष्टया यह घटना साजिश का हिस्सा नजर आती है. उन्होंने कहा था कि कुछ लोगों ने मां-बेटी को उकसाया था.
इस प्रकरण में चार लोगों- आस्मां, सुल्तान, ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के जिलाध्यक्ष कदीर खान और कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता अनूप पटेल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
पाण्डेय ने दावा किया कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि दोनों महिलाएं उत्तर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय जाकर अनूप पटेल से मिली थीं.
वहीं, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पुलिस उसके नेताओं को फंसाने का प्रयास कर रही है.
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष वीरेंद्र चौधरी ने कहा कि पुलिस कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता का नाम इसलिए इस घटना में खींच रही है ताकि प्रदेश की खराब कानून व्यवस्था की स्थिति को छिपाया जा सके.