श्रावस्ती: उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के मदरसे से अवैध नोट छापने की मशीन बरामद हुई थी, जिसके बाद मदरसे को लेकर एक बार फिर सियासी पारा चढ़ गया है. योगी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने मदरसों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि राज्य के मदरसे अब शक के घेरे में हैं. सभी मदरसों की जांच होगी.
ये दूसरा मामला है जब किसी मदरसे में नकली नोट छापने का खुलासा हुआ है. इससे पहले इलाहाबाद के एक मदरसे में नोट छापने का मामला सामने आया था. इस मामले में सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और इसकी जांच चल रही है.
इसमें सारे आरोपी मुस्लिम समुदाय के थे, जबकि श्रावस्ती जिले के मदरसे में अवैध नोट छापने के मामले में गिरफ्तार किये गए पांच लोगों में 3 आरोपी हिन्दू समाज के हैं, जिनके शुक्ला और पाण्डेय तक शामिल हैं. ऐसे में मदरसों में नकली नोट छापने को हलके में नहीं लिया जा सकता है, ये किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है.
ज़ी सलाम की खबर के अनुसार, योगी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा है कि पहले प्रयागराज और अब श्रावस्ती का मदरसा, इनके कारण सभी मदरसे शक के घेरे में हैं, हम सभी की जांच करेंगे, जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई जरूर की जाएगी.
भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में हज़ारों मदरसों में दो मदरसों में अवैध नोट छापने की मशीन मिलने के बाद बीजेपी सरकार को मदरसों पर हमला करने का एक और मौका मिल गया है. बीजेपी शासित राज्यों में सरकार मदरसों को लेकर काफी अड़ियल रवैया अपनाती रही है.
उत्तर प्रदेश में अभी कुछ माह पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मदरसा बोर्ड को ही गैर-संवैधानिक करार दे दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया. असम में हेमंत बिस्वा सरमा ने पूरे राज्य में मदरसों को बंद कर दिया है और उनमें से कुछ मदरसों को स्कूलों में बदल दिया है.
गौरतलब है कि 22 मार्च को इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी मदरसा एजुकेश बोर्ड एक्ट 2004 को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि यह कानून असंवैधानिक है और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को औपचारिक शिक्षा में शामिल करने के लिए योजना बनाने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को संवैधानिक रूप से वैध माना. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी कानून को तभी रद्द किया जा सकता है, जब वह संविधान के भाग III के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता हो या विधायी क्षमता से संबंधित प्रावधानों का उल्लंघन करता हो. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मदरसा अधिनियम सिर्फ इस हद तक असंवैधानिक है कि यह फाजिल और कामिल के तहत उच्च शिक्षा की डिग्री प्रदान करता है, जो कि संविधान के आर्टिकल 12 के साथ विरोधाभासी है.
यूपी में करीब 25,000 मदरसे हैं, जिनमें से करीब 16,000 मदरसों को उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है. इसके अलावा करीब 8 हजार से ज्यादा मदरसे ऐसे हैं, जिन्हें अभी तक मदरसा बोर्ड से मान्यता नहीं मिली है. उच्च शिक्षा के स्तर पर मदरसा बोर्ड स्नातक की डिग्री ‘कामिल’ और स्नातकोत्तर की डिग्री ‘फाज़िल’ प्रदान करता है. इसके अलावा पारंपरिक शिक्षा में ‘कारी’ नामक डिप्लोमा भी दिया जाता है, जो कुरान को सुनाने और पढ़ाने में विशेषज्ञता को प्रमाणित करता है.