जयअनंत देहाद्राई कहते हैं, “यह बहुत सुनियोजित तरीके से रची गई ऐसी साजिश थी, जिसमें ग्लोबल एंगल एक तरफ था. इस मामले को एक नेशनल एंगल भी दिया गया था.”
जयअनंत देहाद्राई कहते हैं, “यह बहुत सुनियोजित तरीके से रची गई ऐसी साजिश थी, जिसमें ग्लोबल एंगल एक तरफ था. इस मामले को एक नेशनल एंगल भी दिया गया था. हिंडनबर्ग रिसर्च को देखिए, तो यह अमेरिका में LLC के तौर पर रजिस्टर्ड थी. LLC यानी लिमिटेड लाइबिलिटी कंपनी.”
उन्होंने आगे कहा, “हिंडनबर्ग एंड कंपनी को ट्रंप की जीत के साथ समझ में आ गया होगा कि हमारी दाल नहीं गलने वाली है. वहां के सांसद लैंस गुडिन ने अटॉर्नी मेरिक गारलैंड को डीटेल में एक चिट्ठी लिखी. उनसे पूछा कि आपने किस आधार पर यह फैसला लिया. आप एक भारतीय बिजनेस हाउस की जांच शुरू करने जा रहे हैं, इसकी जानकारी दीजिए.”
देहाद्राई कहते हैं, “जो भी उनके आरोप थे, वह भारत पर आधारित थे. वहां के कांग्रेसमैन यह जानना चाहते थे कि आपकी जांच ही गलत है. यह पूरा खेल एक तरह से टाइमिंग का है. वह चिट्ठी जाती है और डोनाल्ड ट्रंप की जीत सुनिश्चित होती है. ट्रंप की टीम से तरफ से मैसेज जाता है कि न्याय विभाग की तरफ से राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ डीप स्टेट के जरिए जो जांच शुरू हुई है. जॉर्ज सोरोस के जितने लोग अमेरिका के अलग-अलग संस्थानों में घुसे हुए हैं, उनको निकालने का काम शुरू हम करेंगे.”
उन्होंने आखिर में कहा, “हिंडनबर्ग ने मौका मिलने पर फिर से अपनी दुकान खोलने का रास्ता छोड़ रखा है. यह जल्दबाजी दिखाती है कि कैसे यह पूरा मामला डीप स्टेट के जरिए चल रहा था.”