एचडी कुमारस्वामी के भाग्य ने एक बार फिर उनका साथ नहीं दिया। वह दोबारा कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। इससे पहले वह 21 महीने तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे और इस बार सिर्फ 14 महीने ही वह सरकार चला पाए। विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर मतदान में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार गिर जाने के बाद कुमारस्वामी ने मंगलवार देर शाम राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत पर चर्चा के दौरान सीएम एचडी कुमारस्वामी ने कहा था, ‘मैं एक्सिडेंटल सीएम हूं, नसीब मुझे यहां खींच लाया।’
23 तारीख का संयोग:
कुमारस्वामी 23 मई 2018 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे और 23 तारीख को ही उनकी सरकार गिर गई। परिवर्तन है तो बस साल और महीने का। विश्वासमत में हारने के बाद उन्हें 23 जुलाई 2019 को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
खुद बगावत करके पहली बार बने थे सीएम:
एचडी कुमारस्वामी आज अपने विधायकों के जिन बागी तेवरों को झेल रहे हैं 2006 में कुछ इसी तरह के तेवर कुमारस्वामी की अगुआई में जेडीएस के 42 विधायकों ने दिखाए थे। उस समय भी कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की साझा सरकार थी और सीएम थे कांग्रेस के नेता धर्म सिंह। कुमारस्वामी 42 विधायकों के साथ अलग हो गए और सरकार गिर गई थी।
28 जनवरी 2006 को कर्नाटक के गवर्नर टीएन चतुर्वेदी ने कुमारस्वामी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया।कुमारस्वामी की अगुआई में जेडीएस और बीजेपी की साझा सरकार बनी। एचडी कुमारस्वामी 4 फरवरी 2006 से 9 अक्टूबर 2007 तक सीएम रहे। 27 सितंबर 2007 को कुमारस्वामी ने ऐलान किया कि साझा सरकार के समझौतों के अनुरूप वह 3 अक्टूबर को पद से हट जाएंगे। लेकिन 4 अक्टूबर को उन्होंने बीजेपी को सत्ता सौंपने से इनकार कर दिया। 8 अक्टूबर को कुमारस्वामी ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा और दो दिन बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
2018 के चुनावों के बाद फिर मिला मौका:
राज्य विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने 104 सीटें जीतीं और बहुमत से मात्र 9 सीटें दूर रह गई। कांग्रेस को 80 सीटें और जेडीएस को 37 सीटें मिली थीं। 17 मई 2018 को बीजेपी के नेता बीएस येदियुरप्पा ने सरकार बनाने का दावा पेश किया और मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। बीएस येदियुरप्पा बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा जुटा नहीं सके और 19 मई 2018 को इस्तीफा दे दिया। लेकिन चुनाव बाद कांग्रेस के साथ हुए समझौते के तहत 23 मई 2018 को एचडी कुमारस्वामी को फिर से राज्य का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला।
कांग्रेसी नेता शुरू से ही थे नाखुश:
जेडीएस और कांग्रेस के गठबंधन से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया नाखुश थे। उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सलाह दी कि वह गठबंधन समाप्त कर दें लेकिन राहुल ने उनकी नहीं सुनी।
मुसीबतों से हुई साल 2019 की शुरुआत:
साल की शुरुआत में 15 जनवरी 2019 को कांग्रेस के सात विधायकों ने पार्टी छोड़ने की धमकी दी। उन्हें पवई के एक होटल ले जाया गया। 4 जून 2019 को एएच विश्वनाथ ने जेडीएस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार और मुख्यमंत्री कुमारस्वामी पर सीधा निशाना साधा।
13 विधायकों के इस्तीफे ने हिलाई सरकार:
कर्नाटक में ताजा राजनीतिक संकट की शुरुआत 6 जुलाई को हुई जब जेडीएस और कांग्रेस के 12 विधायकों ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले कांग्रेस के विधायक आनंद सिंह ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इन 13 विधायकों के बाद निर्दलीय विधायक नागेश ने भी इस्तीफा सौंप दिया। नागेश मुंबई के लिए रवाना हो गए जहां पहले से ही कांग्रेस-जेडीएस के बागी विधायक एक होटल में मौजूद थे। निर्दलीय विधायक नागेश ने गवर्नर को पत्र लिखकर कांग्रेस-जेडीएस सरकार से समर्थन वापस लेने के साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि यदि बीजेपी समर्थन मांगती है तो वह उसके साथ हैं।