शाओयांग: चीन में उइगर मुसलमानों पर अत्याचार की खबरें आती रहती हैं. चीन उन पर कई तरह की पाबंदियां लगाता है. इसी तरह से चीन अपने कई संगठनों की मदद से समुदायों की नब्ज टटोलता रहता है. हाल ही में इसी तरह का एक मामला सामने आया है.
ज़ी सलाम की खबर के अनुसार, चीन के हुनान राज्य में मौजूद शहर शाओयांग में ‘हुई मुसलमानों’ की 40,000 आबादी है. यहां माकामी मस्जिदों की देख रेख करने वाले इमामों के लिए एक इम्तिहान हुआ है. इस इम्तिहान में हैरान करने वाले सवाल पूछ गए. ये इम्तिहान शाओयांग इस्लामिक एसोसिएशन संगठन की तरफ से आयोजित किए गए. ये संगठन सरकार की तरफ से चलाए जा रहे, चाइना इस्लामिक एसोसिएशन का हिस्सा है. इसी संगठन ने ‘सोच को लेकर तालीम’ की गुणवत्ता जांचने के लिए इम्तिहान कराए थे.
संगठन ने सभी इमामों से यह इम्तिहान पास करने की गुजारिश की है. पर्चे में इस्लाम के ताल्लुक से कुछ ही बुनियादी सवाल थे. इसके अलावा इम्तिहान में मजहबी काम, मजहबी मामलों पर कौमी कानून, हुनान राज्य के मजहबी मामलों पर कानून और मजहबी मकामों के खर्च का हिसाब किताब के तरीकों के बारे में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भाषण और उनकी कही बातें थीं.
प्रोग्राम का प्रचार करने वाली एक प्रेस रिलीज के मुताबिक, यह इम्तिहान “शाओयांग में इस्लामी बिरादरी को अपने सियासी रुख को लगातार सुधारने और कानून के शासन के बारे में अपनी जागरूकता को मजबूत करने में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया है.
इसका मकसद लोगों को मजहब पर नीतियों, कानूनों को जानने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करना है. इसके अलावा, इस पहल का मकसद मजहबी चलन और इंतजाम को बनाते हुए खुद की तालीम, खुद के इंतजाम के साथ अनुशासन को बढ़ाना है.
दरअसल, चीन में मुस्लिम कम्युनिटी पर काफी पाबंदियां हैं. चीन में 2 करोड़ से ज्यादा मुस्लिम हैं. यहां 30 हजार से ज्यादा मस्जिदें और 10 मुस्लिम एथनिक ग्रुप हैं. इनमें से एक ‘उइगर’ कम्युनिटी है, जिसे पिछले कई सालों से सेंसरशिप का सामना करना पड़ रहा है.