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Friday, January 17, 2025

मुस्लिम डीईओ ने दिया निजी स्कूलों में उर्दू पढ़ाने का आदेश, तो शिक्षा हो गया इस्लामीकरण

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किशनगंज: देशभर में पिछले कई सालों से ‘उर्दू’ को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है. हिन्दू संगठन कभी ‘उर्दू’ नाम वाली जगह तो कभी ‘उर्दू’ अल्फ़ाज़ों को हटाने की मांग करते रहते हैं. उत्तर प्रदेश से उठी ये मांग मध्य प्रदेश होते हुए बिहार पहुंच गई है.

ताजा मामला बिहार के मुस्लिम बाहुल्य जिला किशनगंज से आया है. यहां सीबीएसई (CBSE) से रजिस्टर्ड प्राइवेट स्कूलों में ‘उर्दू’ भाषा पढ़ाने को लेकर विवाद हो गया है. डीईओ नासिर हुसैन ने इस संबंध में एक फरमान जारी किया है, जिसके बाद भाजपा और उसके सहयोगी संगठन बजरंग दल और अन्य हिंदूवादी संगठनों ने इसे “शिक्षा का इस्लामीकरण” बताते हुए विरोध करना शुरू कर दिया है.

ज़ी सलाम की खबर के अनुसार, डिस्ट्रिक्ट डेवलेपमेंट कोऑर्डिनेशन और मॉनिटरिंग कमेटी (दिशा) की बैठक में कांग्रेस विधायक इजहारुल हुसैन और सांसद डॉ. जावेद आजाद ने जिले के प्राइवेट स्कूलों में उर्दू की पढ़ाई न होने का मुद्दा उठाया था. इसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी ने सभी निजी विद्यालयों को लेटर जारी कर उर्दू पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. लेटर में यह भी कहा गया कि यह कदम जिले की अल्पसंख्यक बहुलता को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है.

डीईओ ने लेटर में यह भी साफ किया कि सीबीएसई से निबंधित सभी प्राइवेट स्कूलों को उर्दू की पढ़ाई के लिए जरूरी इंतजाम करनी होगी और तामील की रिपोर्ट बिहार एजुकेशन प्रोजेक्ट ऑफिस को भेजना होगा. इस हुक्म के बाद जिले के प्राइवेट स्कूलों में गुस्सा देखा जा रहा है.

कांग्रेस विधायक इजहारुल हुसैन ने बताया कि “अवाम की तरफ से यह मांग है कि यह मुस्लिम बाहुल्य इलाका है, इसके बावजूद यहां उर्दू की पढ़ाई नहीं होती है. माइनॉरिटी वेलफेयर डिपार्टमेंट कमेटी का मैं मेंबर हूं और हमने सरकार से मांग भी की थी कि जिस सीबीएसई मान्यता प्राप्त स्कूल में उर्दू की पढ़ाई नहीं होती है, वहां उर्दू की पढ़ाई करवाई जाए, क्योंकि सीमांचल का यह मुस्लिम बहुल है और ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि बच्चों को उर्दू पढ़ाई जाए. इसके बाद मैंने दिशा की मीटिंग में इस विषय को रखा था.”

उन्होंने आगे कहा, “मैं शिक्षा मंत्री का धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने मेरी मांग पूरी की. जितने भी सीबीएसई से मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूल हैं, उसमें उर्दू की पढ़ाई होती है या नहीं, उस बारे में लिस्ट मांगी गई है. अब जल्द ही स्कूलों में उर्दू की पढ़ाई होनी लगेगी, जो कि अच्छी बात है.”

वहीं, डीईओ के इस आदेश पर भाजपा जिला अध्यक्ष सुशांत गोप ने प्रतिक्रिया दी और कहा कि सीबीएसई के निर्धारित नियमों के तहत ही स्कूलों में पढ़ाई होनी चाहिए, न कि किसी बाहरी दबाव के तहत. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सीबीएसई से रेजिस्टर्ड स्कूलों में उर्दू थोपने की कोशिश की जाती है, तो BJP इसका कड़ा विरोध करेगी और इसके बदले गायत्री मंत्र पाठ करवाने की मांग की जाएगी.

बिहार भाजपा के अध्यक्ष और राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री ने भी इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि एजुकेशन डिपार्टमेंट या जिला शिक्षा पदाधिकारी किसी प्राइवेट स्कूल को पाबंद नहीं कर सकते कि वह उर्दू पढ़ाए. यह फैसला स्कूल मैनेजमेंट पर निर्भर है कि वह कौन सी भाषाएं पढ़ाए. उन्होंने यह भी कहा कि डीईओ को प्राइवेट स्कूलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है.

वहीं, इस पूरे मामले पर किशनगंज के डीएम विशाल राज ने कहा कि एक बैठक में यह मांग उठी थी कि जो बच्चे स्कूलों में उर्दू लेना चाहते हैं, उनके पास ऑप्शन मौजूद हो. इस संबंध में एक अनुरोध किया गया है कि जिले में जितने भी सीबीएसई (CBSE) से मान्यता प्राप्त स्कूल हैं, उनके पास यह ऑप्शन मौजूद रहे. स्कूलों को सीबीएसई के मानक को फॉलो करना है.

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