अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती हुकूमत से अमेरिका भी सहमा हुआ है। कतर की राजधानी दोहा में जारी वार्ता के दौरान अमेरिकी अधिकारियों ने तालिबान से लड़ाई के दौरान अपने दूतावास को छोड़ने को कहा। उन्होंने कहा कि हम तालिबान से काबुल पर हमले के दौरान अपने दूतावास की सुरक्षा का आश्वासन मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम आश्वासन चाहते हैं कि वे काबुल में अमेरिकी दूतावास पर हमला नहीं करेंगे।

इस समय तालिबान के आतंकी काबुल से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गजनी तक पहुंच गए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि ये आतंकी अब कभी भी काबुल पर हमला कर सकते हैं। अफगानिस्तान की राजधानी पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही अशरफ गनी सरकार का पतन हो जाएगा। अमेरिकी सेना ने भी आशंका जाहिर की है कि तालिबान आतंकी 30 से 90 दिन के अंदर काबुल पर कब्जा कर सकते हैं।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के साथ बातचीत में शामिल मुख्य अमेरिकी दूत जलमय खलीलजाद काबुल में अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों को बनाए रखना चाहते हैं। तालिबान को लगातार मिलती सफलता से लगभग सभी देशों ने काबुल में अपने-अपने दूतावासों को हाई अलर्ट पर रखा हुआ है। भारत समेत लगभग सभी देशों ने काबुल के अलावा बाकी शहरों में स्थित अपने वाणिज्यिक दूतावासों और राजनयिक मिशनों को बंद किया हुआ है।

अमेरिकी राजनयिक अब यह निर्धारित करने की कोशिश कर रहे हैं कि तालिबान के विनाश की रफ्तार बढ़ने पर उन्हें अमेरिकी दूतावास को कितनी जल्दी खाली करने की आवश्यकता हो सकती है। गुरुवार को अमेरिकी दूतावास ने अफगानिस्तान में मौजूद अपने देश के नागरिकों से अनुरोध किया था कि जो सरकार के लिए काम नहीं कर रहे हैं वे सभी तुरंत वाणिज्यिक उड़ानों से अफगानिस्तान छोड़ दें।

वहीं, बाइडन प्रशासन के अधिकारियों ने जोर देकर कहा है कि लगभग 1,400 अमेरिकियों सहित 4,000 कर्मचारियों वाले काबुल दूतावास को बंद करने या कर्मचारियों को निकालने की तत्काल कोई योजना नहीं है। अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान में कहा कि हम अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस ले रहे हैं, लेकिन हम अफगानिस्तान से नहीं हट रहे हैं। केवल अमेरिकी सैनिकों की वापसी होगी, अमेरिका अफगानिस्तान के साथ हमारे मजबूत राजनयिक संबंध बनाए रखेगा।

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