बिहार के गोपालगंज में 264 करोड़ की लागत से बने पुल का एप्रोच सड़क 29वें दिन ही टूट गया। लोगों का कहना है कि एक माह पूर्व (16 जून) को ही इस पुल का उद्घाटन हुआ था। जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया था। पुल टूटने से लोगों के आने-जाने का लिंक समाप्त हो गया है।

बताया जा रहा है कि ये पुल गोपालगंज को चंपारण से और इसके साथ तिरहुत के कई जिलों को जोड़ता था। बता दें कि गोपालगंज में बुधवार को तीन लाख से ज्यादा क्यूसेक पानी का बहाव था। गंडक के इतने बड़े जलस्तर के दबाव से छपरा- सत्तरघाट के पुल को जोड़ने वाली एप्रोच सड़क करीब 30 फीट ध्वस्त हो गई। याद रहे कि इस सेतु का निर्माण बिहार पुल निर्माण विभाग द्वारा कराया गया था। साल 2012 में इस पुल का निर्माण शुरू किया गया था। निर्माण पूरा होने के बाद पिछले माह 16 जून 2020 को इस महासेतु का उद्घाटन किया गया था। लेकिन 29 दिन ही में 264 करोड़ की लागत पानी में बह गई।

वहीं स्थानीय विधायक मिथिलेश तिवारी ने पथ निर्माण मंत्री नन्द किशोर यादव से मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। विधायक ने बताया कि पथ निर्माण मंत्री ने जांच कराकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।

इसी मामले को लेकर नीतीश सरकार पर विपक्ष तो विपक्ष अपने भी निशाना बना रहे हैं। एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने ट्वीट कर कहा कि, “264 करोड़ की लागत से बने पुल का एक हिस्सा आज ध्वस्त हो गया है। जनता के पैसे से किया कोई भी कार्य पूरी गुणवत्ता से किया जाना चाहिए था। इस तरह की घटनायें जनता की नजर में ZERO CORRUPTION पर सवाल उठाती है। एलजेपी माँग करती है की उच्च स्तरीय जाँच कर जल्द दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करे।”

वहीं विपक्ष व राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर वीडियो पोस्ट करते हुए तंज कसा कि, ”8 वर्ष में 263.47 करोड़ की लागत से निर्मित गोपालगंज के सत्तर घाट पुल का 16 जून को नीतीश जी ने उद्घाटन किया था आज 29 दिन बाद यह पुल ध्वस्त हो गया. खबरदार! अगर किसी ने इसे नीतीश जी का भ्रष्टाचार कहा तो? 263 करोड़ तो सुशासनी मुंह दिखाई है. इतने की तो इनके चूहे शराब पी जाते है.”

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