खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि देश में कोविड -19 को लेकर स्थिति बिगड़ रही है।

 

पीठ ने कहा कि किसी को भीड़भाड़ वाली जेल में वापस भेजने का कोई मतलब नहीं है, जब वह पैरोल पर बाहर हो सकता है। शीर्ष अदालत ने चहल को हाईकोर्ट में उसकी अपील विचाराधीन रहने तक पैरोल दे दी।

शीर्ष अदालत ने 23 मार्च को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सात साल तक की जेल की सजा वाले अपराधों से संबंधित कैदियों और अपराधियों को पैरोल या अंतरिम जमानत देने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का निर्देश दिया था।

निर्देश जेलों में भीड़ को कम करने के मद्देनजर जारी किया गया था।

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