कलकत्ता हाईकोर्ट ने फिल्म अभिनेता शाहरुख खान को आदेश दिया है कि वह इस संबंध में एक एफिडेविट (शपथ पत्र) दाखिल करें जो यह स्पष्ट करता हो कि उनका इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्लानिंग एंड मैनेजमेंट (आईआईपीएम) से क्या संबंध है।

बता दें कि इस संस्थान के खिलाफ छात्रों को धोखा देने और गुमराह करने के आरोप में सीबीआई जांच की मांग की गई है। न्यायाधीश देबांगशु बसक ने गुरुवार को आईआईपीएम के कुछ विज्ञापनों में नजर आने वाले शाहरुख खान, उनकी फर्म रेड चिलीज एंटरटेनमेंट और संस्थान के प्रमोटर अरिंदम चौधरी, तीनों को अलग-अलग एफिडेविट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

ये शपथ पत्र दुर्गा पूजा के अवकाश के दो सप्ताह के अंदर अदालत में जमा करने होंगे। याचिका दायर करने वाले छात्रों ने हाईकोर्ट के सामने दावा किया है कि उन्होंने शाहरुख खान के उन विज्ञापनों से प्रभावित होकर यहां के कोर्सेज में दाखिला लिया था, जिनमें वह संस्थान की खूबियां बताते नजर आ रहे थे।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, छात्रों के वकील दीपांजन दत्त ने अदालत के सामने दावा किया है कि शाहरुख खान संस्थान के ब्रांड एंबेसडर थे। वहीं, शाहरुख खान के वकील ने इन दावों को खारिज किया है। शाहरुख के वकील ने अदालत को बताया था कि वह (शाहरुख खान) संस्थान के इक्का-दुक्का विज्ञापनों में ही नजर आए थे।

इसके बाद न्यायाधीश बसक ने शाहरुख खान को शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने इस संबंध में पश्चिम बंगाल सरकार से भी यह कहते हुए एक एफिडेविट दाखिल करने को कहा था, कि आईआईपीएम के खिलाफ आरोपों की जांच राज्य पुलिस के बजाय सीबीआई को क्यों न दे दी जाए।

याची छात्रों के वकील ने कहा कि जब साल 2018 में यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) ने कहा था कि आईआईपीएम के पास मान्यता नहीं है और दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे फर्जी संस्थान करार दिया था, इसके बाद कुछ छात्रों ने आईआईपीएम के खिलाफ न्यू टाउन पुलिस थाना में आपराधिक मामला भी दर्ज कराया था।

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