वैक्सीनेशन यानी टीकाकरण कितना जरूरी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगर एक भी बच्चा छूट जाए तो बीमारी और वायरस के दोबारा उभरने की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं। ऐसे में आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले साल 2018 में दुनियाभर के 2 करोड़ बच्चों को जीवनरक्षक टीके नहीं लग पाए। इसे हम इस तरह से भी समझ सकते हैं कि दुनिया के हर 10 में से 1 बच्चे का टीकाकरण नहीं हुआ।

साल 2018 में 2 करोड़ बच्चों को नहीं लगा टीका

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन WHO और यूनीसेफ (UNICEF) की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक मीजल्स, डिप्थीरिया और टेटनस जैसी जानलेवा बीमारियों का टीका साल 2018 में 2 करोड़ बच्चों को नहीं लगा। ग्लोबल इम्यूनाइजेशन कवरेज पर यूनाइटेड नेशन्स की विभिन्न एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक गरीब देशों में वैक्सिनेशन का लेवल फिलहाल रुका हुआ है।

बीमारियों के प्रकोप से बचाने का सबसे अहम तरीका है टीका
WHO के डायरेक्टर जनरल टेडरोस ने कहा, ‘दुनिया को सुरक्षित रखना और बीमारियों के प्रकोप से बचाकर रखने का सबसे अहम तरीका वैक्सीन यानी टीका है। आमतौर पर वैसे लोग जिन्हें बीमारियों का सबसे ज्यादा खतरा होता है, जो सबसे ज्यादा गरीब हैं, हाशिए पर हैं, वैसे ही लोग अक्सर टीकाकरण से छूट जाते हैं और फिर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।’

डिप्थीरिया, टेटनस, मीजल्स का नहीं लगा टीका
WHO और UNICEF की रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि साल 2010 से डिप्थीरिया के 3 डोज, टेटनेस और काली खांसी का टीका और मीजल्स के टीके का एक डोज 86 प्रतिशत पर आकर रुक गया है। रिपोर्ट की मानें तो यह संख्या बेहद कम है क्योंकि वैसे लोग जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है उन्हें भी इसमें शामिल करने के लिए आमतौर पर कम से कम 95 प्रतिशत कवरेज की जरूरत होती है।

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