राज्यसभा में आज चुनाव सुधारों पर अल्पकालिक चर्चा हो रही है. कांग्रेस, टीएमसी समेत 14 विपक्षी दलों ने बुधवार को चुनाव सुधार पर चर्चा के लिए नियम 176 के तहत राज्यसभा में चर्चा के लिए नोटिस दिया था. उच्च सदन में आज केंद्रीय शैक्षणिक संस्था (शिक्षकों के काडर में आरक्षण) विधेयक 2019 को चर्चा के बाद पारित कर दिया गया. यह बिल लोकसभा से पारित हो चुका है और संसद की मंजूरी के बाद अध्यादेश की जगह लेगा. लोकसभा में भारतीय दंत चिकित्सक परिषद को और प्रभावी बनाने वाला विधेयक पेश किया गया.

राज्यसभा में कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि आपराधिक रिकॉर्ड वालों को भी बीजेपी ने टिकट दिया और कई पर तो गंभीर मामले दर्ज हैं और वह जीतकर लोकसभा पहुंचे भी हैं. सिब्बल ने कहा कि ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम इस मोड़ पर खड़े हैं जहां जिन संस्थाओं को संविधान की रक्षा करने थी वो अगर रक्षा करनी बंद कर दें. संस्था अगर कदम उठाने में देर कर दे तो संविधान का नुकसान होता है. अगर संस्थाएं और हम ही संविधान की रक्षा नहीं करेंगी तो संविधान कहा जाएगा. उन्होंने कहा कि हमें ईवीएम को सोर्स कोड नहीं मालूम, प्रोग्राम नहीं मालूम तो हम तो सिर्फ बटन दबाकर आते हैं, बाद में इंजीनियर क्या करता है वह हमें नहीं मालूम. बीजेपी हमें भी वह गुण बता दे जिससे यह लोग 6-8 महीने पहले ही पूर्ण बहुमत पाने का दावा कर देते हैं.

बीजेपी ने चुनाव में किया सबसे ज्यादा खर्च: सिब्बल

कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान कहा कि हमने इस चुनाव में पैसा का नाच देखा, चुनाव आयोग के फैसले देखे, यह बड़ी समस्या है. उन्होंने कहा कि जितना पैसा इस चुनाव में खर्च हुआ उतना किसी चुनाव में खर्च नहीं हुआ. सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सिब्बल ने कहा कि इस बार 60 हजार करोड़ रुपया चुनाव में खर्च हुआ जिसमें 45 फीसदी सिर्फ बीजेपी ने खर्च किया है जो कि 27 हजार करोड़ होता है. सिब्बल के इस बयान के बाद रविशंकर प्रसाद ने आपत्ति जताई और आंकड़ों की प्रमाणिकता पर सवाल उठाए लेकिन सभापति ने कहा कि संस्था गैर सरकारी है और इसका जिक्र खुद सांसद ने किया है. आपको इस बारे में जो कहना है अपनी बारी आने पर जरूर कहना.

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