हाल ही में कमीडियन तन्मय भट्ट ने खुलासा किया कि वह डिप्रेशन से पीड़ित हैं। इसके बाद डिप्रेशन को लेकर एक बार फिर से चर्चा तेज हो गयी है। यह अब एक विकराल रूप लेता जा रहा है। जानिए, लक्षण, कारण और बचाव के तरीके:

डिप्रेशन की समस्या अब काफी आम हो चुकी है। हाल ही में एआईबी के सदस्य और कमीडियन तन्मय भट्ट ने बताया कि वह क्लीनिकल डिप्रेशन से पीड़ित हैं। पहले भी दीपिका पादुकोण, अनुष्का शर्मा, शाहरुख खान, करण जौहर और रितिक रोशन जैसे कई सिलेब्रिटीज खुलासा कर चुके हैं कि वे डिप्रेशन से पीड़ित थे। माना जाता है कि 5 में से एक व्यस्क डिप्रेशन का शिकार होता है। वैसे डिप्रेशन सिर्फ बड़ों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी होने लगा है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति डिप्रेशन में हो तो तुरंत उनकी मदद करनी चाहिए।

आज हम आपको डिप्रेशन के लक्षण, कारण और बचाव से लेकर उन तरीकों के बारे में बताएंगे जिनके जरिए डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति की मदद कर सकते हैं।

डिप्रेशन के लक्षण
1- सबसे पहले तो यह समझने की जरूरत कि जो लोग डिप्रेशन में होते हैं उन्हें असल में पता ही नहीं चल पाता कि वे डिप्रेशन में हैं। ऐसे में जरूरी है कि पीड़ित व्यक्ति के करीबी उसमें डिप्रेशन के लक्षणों की पहचान करें और तुरंत मदद को आगे आएं।

2- लगातर शांत रहना और डेली लाइफ की किसी भी ऐक्टिविटी में रुचि न लेना। दोस्त, फैमिली और सोसाइटी से भी कट जाना।

3- ज्यादा चिंता करना, जीवन के प्रति नकारात्मक नजरिया रखना, बात-बात पर गुस्सा करना, दुखी रहना।

4- नींद ज्यादा आना या बहुत कम आना।

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5- खुद को कोसते रहना और खुशी के मौकों पर भी दुखी ही रहना। हमेशा नेगेटिव बातें करना और किसी से भी मिलने से बचना।

6- खाना ज्यादा खाना या सामान्य से कम खाना और चिढ़कर या झल्लाकर जवाब देना।

7- अगर वजन अचानक बढ़ रहा है या तेजी से कम हो रहा है तो यह भी डिप्रेशन का एक लक्षण हो सकता है। इसके अलावा हमेशा थका-सा महसूस करना भी डिप्रेशन की निशानी है।

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डिप्रेशन की वजहें
इसकी कई वजहें हो सकती हैं, जैसे कि:
– किसी करीबी की मृत्यु या रिजल्ट खराब आना।
– हॉर्मोन्स में बदलाव और किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होना
– किसी काम में अगर उम्मीद के मुताबिक सफलता न मिले या वह काम बिगड़ जाए तो
– नौकरी छूट जाए या बिजनस में नुकसान हो जाए या फिर किसी बेहद करीबी इंसान का साथ छूट जाए
– कर्ज में डूबने की स्थिति में भी व्यक्ति डिप्रेशन में चला जाता है।

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ऐसे करें मदद

  • जिस तरह बुखार, पेटदर्द या दूसरी बीमारियों में इलाज की जरूरत है, वैसे ही डिप्रेशन में भी इलाज बहुत जरूरी है। आप यह न सोचें कि इसकी तो आदत ही है मुंह फुलाए रखने की या दूसरों को परेशान करने की। स्वीकार करें कि वह बीमार है और उसे इलाज के साथ-साथ आपकी मदद की भी जरूरत है।
  • मरीज की बातें सुनें। उसकी भावनाओं को समझें। वह जो भी बोलना चाहे, उसे बोलने दें बिना कोई टिप्पणी किए। न उसे सलाह दें, न ही जबरन खुश करने की कोशिश करें। आपको बस उसके मन की बात सुननी है। अगर वह किसी से नाराज है या उसके बारे में भला-बुरा कह रहा है और बेशक आपको यह बात पसंद नहीं है तो भी उसे टोकें नहीं। अगर किसी ब्रेकअप वगैरह की वजह से उसकी यह स्थिति हुई है तो भी उसके एक्स के बारे में कोई गलत बात न करें। उसे मन की बात निकालने का मौका दें। उसकी बात सुनें।
  • मरीज को व्यवहार से झुंझलाकर उसे डांटें नहीं और न ही दुत्कारें। मरीज के साथ प्यार से पेश आएं और कोई भी तरीका अपनाते वक्त संयम और प्यार से ही काम लें।
  • डिप्रेशन को ठीक करने में सिर्फ दवाएं या फिर डॉक्टर ही मददगार नहीं बल्कि परिवारवालों का रवैया भी मायने रखता है। डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को आप जितना प्यार देंगे, जितना उसे खुश रखने की कोशिश करेंगे उतनी जल्दी ही उसकी स्थिति में सुधार होगा।
  • मरीज को गुस्सा ज्यादा आता है। वह बात-बात पर गुस्सा करता है या नाराज हो जाता है। ऐसे में आपको अपना संयम बनाए रखना है। यह न हो कि आप झुंझलाने लगें कि एक तो मैं इसका साथ दे रहा हूं या मदद कर रहा हूं और यह मुझसे ही नाराज हो रहा है। दरअसल, पीड़ित को तो पता भी नहीं होता कि आप उसकी मदद कर रहे हैं। वह चीखे-चिल्लाए तो भी आप ऊंची आवाज में बात न करें। यहां तक कि अगर वह आप पर कुछ उठाकर मारने की कोशिश करे तो भी आप खुद को कंट्रोल में रखें। खुद को समझाएं कि वह बीमारी में ऐसा कर रहा है।
  • अगर तमाम कोशिशों के बाद भी मरीज की उदासी कम नहीं हो रही है और यह दौर 10-15 दिन तक जारी रहता है तो एक्सपर्ट की मदद लें। काउंसलर से लेकर सायकॉलजिस्ट और सायकायट्रिस्ट तक, इसमें मदद कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर दवाएं भी दी जाती हैं। यह न सोचें कि इसकी तो आदत है ऐसे ही परेशान रहने की।
  • डिप्रेशन के इलाज के लिए पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर या काउंसलर से मिलवाएं। इसके अलावा उसे सोशल सर्कल में ले जाएं। लोगों के साथ घुलने-मिलने से अच्छा महसूस होगा और व्यक्ति उदासी के क्षणों से बाहर निकलेगा।
  • मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए सही खान-पान और भरपूर नींद बेहद आवश्यक है। इसलिए डिप्रेशन के मरीज को हेल्दी और सही खान-पान दें और मरीज पर्याप्त नींद ले।

डिप्रेशन का इलाज
साइकॉलजिकल इलाज के अलावा डिप्रेशन के इलाज के लिए मरीज को ऐंटी-डिप्रेसेंट भी दिए जाते हैं। हालांकि इस तरह की दवाइयों का सेवन तभी करें जब वे स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव न डालें।

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