चीन की कंपनी हुआवेइ पर अमेरिकी प्रतिबंध से उपजी परिस्थितियों से चौकस भारत सरकार लोकप्रिय चैट एप्प व्हाट्सएप और दूसरे कम्युनिकेशन नेटवर्क का देसी वर्जन लाने पर विचार कर रही है.

सरकार खासतौर पर सरकारी एजेंसियों के लिए एक ऐसा एप्प बनाना चाहती है, जिससे देश को भविष्य में जियो-पॉलिटिकल जोखिम से बचाने में मदद मिले. एक बड़े सरकारी अधिकारी ने बताया कि गूगल और क्वालकॉम जैसी अमेरिकी कंपनियां जिस तरह चीन की कंपनी हुआवेइ पर अमेरिका के प्रतिबंध लगाने के बाद उससे रिश्ते तोड़ने जा रही हैं, उससे भारत सरकार चौकन्नी हो गयी है.

अधिकारी ने कहा कि रणनीतिक और सुरक्षा कारणों से देसी चैट एप्प बनाने पर चर्चा चल रही है. आगे चलकर हम कम-से-कम सरकारी स्तर पर संवाद के लिए अपना इमेल, मैसेजिंग सिस्टम डेवलप करना चाहते हैं, जिससे कि हमें बाहरी कंपनियों पर आश्रित न रहना पड़े. उन्होंने बताया कि आधिकारिक संवाद देश में बने और सुरक्षित नेटवर्क पर हो, इस बारे में चर्चा पहले से चल रही थी.

सरकारी स्तर पर संवाद के लिए होगा अपना इमेल व मैसेजिंग सिस्टम
हुआवेइ के स्मार्टफोन पर अब नहीं मिलेगा एंड्रॉयड:
हुआवेइ पर अमेरिकी सरकार के पाबंदी लगाने के बाद गूगल के एंड्रॉयड ने कहा था कि वह हुआवेइ के स्मार्टफोन से अपना रिश्ता तोड़ेगा. इस साल 21 मई को अमेरिका ने हुआवेइ के उत्पादों पर पाबंदी लगायी थी. उसने अमेरिकी कंपनियों को हुआवेइ को सॉफ्टवेयर और कंपोनेंट की सप्लाई करने से भी रोक दिया है.

यूएस का हुआवेइ से सेवा न लेने का भारत पर दवाब:
अमेरिका भारत पर भी 5जी सर्विस में हुआवेइ को एंट्री नहीं देने के लिए दबाव डाल रहा है. हालांकि, अभी तक भारत ने इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया है. इस बारे में चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को अमेरिकी प्रतिबंध से निर्देशित होने के बजाय स्वतंत्र रूप से अपना निर्णय लेना चाहिए.

डेटा को भारत में ही स्टोर करने पर सरकार का जोर:
अधिकारी ने बताया कि सरकार चाहती है कि ऐसे नेटवर्क पर जो भी कम्युनिकेशन हो और डेटा भेजे जायें, ‌उन्हें भारत में ही स्टोर किया जाये. इसकी शुरुआत सभी सरकारी कम्युनिकेशन को एक ऐसे प्लेटफॉर्म पर लाने से हो सकती है, जिसका डेटा भारत में ही स्टोर हो. उसके बाद अगले फेज में सरकार लोगों के साथ जो संवाद करे, उसे इस पर शिफ्ट किया जा सकता है.

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