नई दिल्ली
भारतीयों ने 1980 से लेकर साल 2010 के बीच 30 साल की अवधि में लगभग 246.48 अरब डॉलर (17,25,300 करोड़ रुपये) से लेकर 490 अरब डॉलर (34,30,000 करोड़ रुपये) के बीच काला धन देश के बाहर भेजा। तीन अलग-अलग दिग्गज संस्थानों-एनआईपीएफपी, एनसीएईआर और एनआईएफएम ने अपने अध्ययन में यह जानकारी दी है।

सोमवार को लोकसभा के पटल पर पेश फाइनैंस पर स्टैंडिंग कमिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तीनों संस्थानों ने अपने अध्ययन में पाया है कि जिन सेक्टर्स में सबसे ज्यादा काला धन पाया गया है उनमें रियल एस्टेट, माइनिंग, फार्मास्युटिकल्स, पान मसाला, गुटखा, तंबाकू, बुलियन, कमॉडिटी, फिल्म एवं एजुकेशन है।

कमिटी ने ‘स्टेटस ऑफ अनअकाउंटेड इनकम/वेल्थ बोथ इनसाइड ऐंड आउटसाइड द कंट्री-ए क्रिटिकल अनालिसिस’ नामक रिपोर्ट में कहा है कि काला धन पैदा होने या इकट्ठा होने को लेकर कोई विश्वसनीय अनुमान नहीं है और न ही इस तरह का अनुमान जताने के लिए कोई सर्वमान्य तरीका।

रिपोर्ट के मुताबिक, नैशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) ने अपने अध्ययन में कहा है कि भारत से 1980 से लेकर 2010 के बीच 26,88,000 लाख करोड़ रुपये से लेकर 34,30,000 करोड़ रुपये का काला धन विदेश भेजा गया।

वहीं, नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फाइनैंशल मैनेजमेंट (एनआईएफएम) ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में सुधार (1990-2008) के दौरान लगभग 15,15,300 करोड़ रुपये (216.48 अरब डॉलर) का काला धन भारत से विदेश भेजा गया।

नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी ऐंड फाइनैंस (एनआईपीएफपी) ने कहा कि 1997-2009 के दौरान देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.2 फीसदी से लेकर 7.4 फीसदी तक काला धन विदेश भेजा गया।

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