Young Indian business man talking on phone in front modern office building.

नई दिल्‍ली: मोबाइल टेक्‍नोलॉजी ने हमारे जीने के तरीके को पूरी तरह बदलकर रख दिया है. फिर चाहे वह पढ़ना हो, काम करना हो, एक-दूसरे तक अपनी बात पहुंचाना हो, शॉपिंग हो या किसी के साथ डेटिंग ही क्‍यों न हो, मोबाइल के आने के बाद सबकुछ बदल गया है. वैसे यह सब तो हम जानते ही हैं. इसमें नया कुछ नहीं है. लेकिन जो बात हमें नहीं पता वह यह है कि मोबाइल जैसी छोटी सी मशीन हमारे शरीर के अंदर अस्थि-पंजर यानी कि कंकाल को भी बदल रही हैं. एक नए शोध के मुताबिक मोबाइल का ज्‍यादा इस्तेमाल करने वाले युवाओं के सिर में ‘सींग’ निकल रहे हैं. सिर के स्कैन में इस बात की पुष्टि भी हो गई है.

जी हां, बायोमकेनिक्‍स यानी कि जैव यांत्रिकी पर की गई एक नई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि सिर को ज्‍यादा झुकाने के कारण युवा अपनी खोपड़ी के पीछे सींग विकसित कर रहे हैं. रिसर्च के मुताबिक मोबाइल पर घंटों वक्त बिताने वाले युवा खास कर जिनकी उम्र 18 से 30 साल के बीच है, वो इसके ज्यादा शिकार हो रहे हैं. इस रिसर्च को ऑस्ट्रेलिया के क्‍वींसलैंड स्थित सनशाइन कोस्ट यूनिवर्सिटी में किया गया है.

रिसर्च में कहा गया है कि रीढ़ की हड्डी से वजन के शिफ्ट होकर सिर के पीछे की मांसपेशियों तक जाने से कनेक्टिंग टेंडन और लिगामेंट्स में हड्डी का विकास होता है. नतीजतन एक हुक या सींग की तरह की हड्डियां बढ़ रही हैं, जो गर्दन के ठीक ऊपर की तरह खोपड़ी से बाहर निकली हुई है. ‘वॉशिंगटन टाइम्स’ की खबर के मुताबिक, खोपड़ी के निचले हिस्से इस कांटेदार हड्डी को देखा जा सकता है. यह हड्डी किसी सींग की तरह लगती है. डॉक्टरों के मुताबिक, हमारे खोपड़ी का वजन करीब साढ़े चार किलोग्राम का होता है यानी एक तरबूज के बराबर. आमतौर पर मोबाइल का इस्तेमाल करते वक्त लोग अपने सिर को लगातार आगे पीछे की तरफ हिलाते हैं. ऐसे में गर्दन के निचले हिस्से की मांसपेशियों में खिंचाव आता है और इसी के चलते हड्डियां बाहर की तरफ निकल जाती है, जो किसी ‘किसी सींग की तरह दिखती है. ऐसा सिर पर ज्यादा दबाव पड़ने से हो रहा है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि स्मार्टफोन और इसी तरह के दूसरे डिवाइस मानव स्वरूप को बदल रहे हैं. यूजर को छोटी स्क्रीन पर क्या हो रहा है, यह देखने के लिए अपने सिर को आगे झुकना पड़ता है. शोधकर्ताओं का दावा है कि टेक्‍नोलॉजी का मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव का यह अपने तरह का पहला डॉक्‍यूमेंट है.

आपको बता दें कि शोधकर्ताओं का पहला पेपर जर्नल ऑफ एनाटॉमी में साल 2016 में प्रकाशित हुआ था. इसमें 216 लोगों के एक्स-रे को बतौर उदाहरण पेश किया गया था, जिनकी उम्र 18 से 30 साल के बीच थी. रिसर्च में कहा गया कि 41 फीसदी युवा वयस्कों के सिर की हड्डी में वृद्धि देखी जा सकती है, जो पहले लगाए गए अनुमान की तुलना में बहुत ज्‍यादा है. यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक है.

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इसी तरह एक दूसरा पेपर साल 2018 में पेश किया गया जिसमें चार टीनएजर्स को बतौर केस स्‍टडी लिया गया था. शोध में कहा गया कि इन टीनएजर्स के सिर पर सींग आनुवांशिक नहीं बल्‍कि खोपड़ी और गर्दन पर पड़ रहे दबाव की वजह से थीं.

इस पेपर से महीना भर पहले प्रकाशित की गई शोध रिपोर्ट में 18 साल से लेकर 86 वर्ष तक के 1200 लोगों के एक्‍स-रे को शामिल किया गया था. शोधकर्ताओं ने पाया कि 33 फीसदी लोगों में सींग जैसी हड्डी के विकसित होने की बात सामने आई थी.

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